18 साल बाद शरद पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण, ग्रहण की अवधि 1 घंटा 19 मिनट

18 साल बाद शरद पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण, ग्रहण की अवधि 1 घंटा 19 मिनट
  • 18 साल बाद शरद पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण
  • मेष राशि व अश्विनी नक्षत्र पर रहेगा ग्रहण
  • राहु गुरु की युति के साथ चंद्र का संयुक्त क्रम
  • ग्रहण की अवधि 1 घंटा 19 मिनट
  • अपर रात्रि का रहेगा ग्रहण का प्रभाव
  • अलग-अलग राशियों पर अलग-अलग प्रभाव

अमर डब्बावाला जोशी आचार्य द्वारा - पंचांग की गणना के अनुसार अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर चंद्र ग्रहण का योग बन रहा है यह ग्रहण खंडग्रास चंद्र ग्रहण की श्रेणी में आता है। 28 अक्टूबर की रात्रि में अर्थात 28/29 को भारत में खंड ग्रास के रूप में चंद्र ग्रहण दिखाई देगा। संसार में इसका प्रभाव रात्रि 11:32 से 3:56 तक रहेगा किंतु भारत में यह चंद्र ग्रहण खंडग्रास के रूप में ही दृश्य होगा, जिसका विवरण इस प्रकार है।

 *चंद्र ग्रहण का आरंभ रात्रि में 1:05 पर*

 *चंद्र ग्रहण का मध्य रात्रि में 1:44*

 *चंद्र ग्रहण का मोक्ष रात्रि में 2:24 पर होगा।*

 इसकी कुल अवधि एक घंटा 19 मिनट रहेगी।

ग्रहण का सूतक


ग्रहण का सूतक या वेध काल स्पर्श के 9 घंटे पहले अर्थात 28 अक्टूबर 2023 को दोपहर 4:05 से प्रारंभ होगा इसी वेध काल कहा जाता है इस समय भोजन शयन सांसारिक सुख की क्रियाएं आदि त्याग देना चाहिए हालांकि बालक वृद्ध रोगी आतुर्जन व गर्भवती महिलाओं को विशिष्ट परिस्थितियों मैं ही ही आवश्यक मात्रा में पेय, खाद्य सामग्री का सेवन करना चाहिए। हालांकि ग्रहण काल में सभी वर्जित माना जाता है किंतु स्थिति परस्थिति आदि पर निर्भर करता है।

2005 के बाद 2023 में इस प्रकार शरद पूर्णिमा पर ग्रहण का योग


भारतीय ज्योतिष शास्त्र की गणना का सिद्धांत अलग-अलग प्रकार से तिथि वार नक्षत्र के आधार पर निर्भर करता है शरद पूर्णिमा तिथि की गणना एवं मास, वर्ष, गोचर की गणना से देखें तो 2005 में शरद पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण था और अब 2023 में शरद पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण की स्थिति बन रही है हालांकि इन ग्रहणों में अलग-अलग प्रकार का आंशिक भेद आता है किंतु पूर्णिमा तिथि पर विशेषत: शरद पूर्णिमा पर खासकर तब जब चंद्रमा की कला अपने यौवन पर रहती है ऐसी स्थिति में ग्रहण का होना एक अलग प्रकार की स्थिति को बनाता है जो प्राकृतिक, राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक दृष्टिकोण से अनुकूल नहीं होता है।

मेष राशि व अश्विनी नक्षत्र पर रहेगा ग्रहण

यह ग्रहण मेष राशि और अश्विनी नक्षत्र पर रहेगा हालांकि इसी नक्षत्र पर राहुगुरू के प्रभाव अलग प्रकार से अपना प्रभाव दिखाएंगे मेष राशि दक्षिण दिशा को कारकत्व प्रदान करती हैं इस दृष्टि से दक्षिण दिशा विशेष रूप से प्रभावित रहेगी वहीं गुरु पूर्व दिशा का कारक है दक्षिण पूर्व दिशा के राष्ट्र व राज्यों में इसके प्रभाव दिखाई देंगे।

अलग-अलग राशियों पर रहेगा अलग-अलग प्रभाव

मेष
अज्ञात भय बना रहेगा अधिक सोचने से बचे।

वृषभ
व्यावसायिक निवेश सोच समझकर करें नुकसान की संभावना।

मिथुन
आर्थिक लाभ और प्रसन्नता का समाचार मिलेगा

कर्क
सुख में वृद्धि होगी, धार्मिक यात्रा भी संभव।

सिंह
वाणी तथा क्रोध पर नियंत्रण की आवश्यकता।

कन्या
स्वास्थ्य तथा संबंधों पर ध्यान देने की आवश्यकता।

तुला
दांपत्य जीवन में संतुलन बनाकर चलें।

वृश्चिक
पूर्व के निवेश का लाभ मिल सकता है।

धनु
सोच समझकर सावधानी रखते हुए आगे बढ़े।

मकर
अपने ही व्यक्ति की किसी बात से कष्ट हो सकता है।

कुंभ
धन लाभ के रास्ते खुलेंगे।

मीन
बिना सोचे समझे निवेश आर्थिक नुकसान दे सकता है।