सर्वपितृ अमावस्या और शनिचरी अमावस्या का योग कई सालो बाद आया

सर्वपितृ अमावस्या और शनिचरी अमावस्या का योग कई सालो बाद आया

उज्जैन |  सर्वपितृ अमावस्या और शनिचरी अमावस्या का योग कई सालो बाद आया है। आज भूतड़ी अमावस्या भी इस अमावस्या को मानी जाती है। इसलिए श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने के लिए शिप्रा नदी पर त्रिवेणी घाट पर पहुंच रहे। उज्जैन के कालिदाह महल, शिप्रा नदी और त्रिवेणी घाट शनि मंदिर पर डुबकी लगाने के लिए हजारों कि संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। इस दौरान शनि भगवान का राजस्थानी स्वरूप में श्रृंगार किया गया। 

धार्मिक नगरी उज्जैन में सर्व पितृ अमावस्या शनिचरी और भूतडी अमावस्या पर आस्था का मेला कई स्थानों पर लगा। देर रात से ही आस्था की डुपकी लगाने के लिए श्रद्धालु उज्जैन के कालीदाह महल, रामघाट त्रिवेणी घाट पर पहुंचे। शनिचरी अमावस्या होने के चलते शिप्रा में नहान और शनि देवता के दर्शन करने का विशेष महत्व होता है। इसलिए प्रदेश भर के श्रद्धालु आस्था के डुबकी लगाने के लिए त्रिवेणी शनि मंदिर पहुंचते हैं। शुक्रवार रात से ही श्रद्धालुओं का  ताता लगा हुवा है। यहां पर श्रद्धालुओ ने शिप्रा में स्नान करने के बाद अपने जूते और वस्त्रों का दान किया। त्रिवेणी शनि मंदिर पर शनि भगवान का आकर्षक पगड़ी पहनाकर राजस्थानी रूप में सजाया गया । मंदिर को कुश की कुटिया का स्वरुप दिया गया है।

मंदिर के पुजारी राकेश बैरागी ने बताया कि सर्व पितृ और शनिचरी अमावस्या होने के कारण विशेष महत्व है स्नानदान के बाद श्रद्धालु भगवान के दर्शन कर रहे हैं। भगवान शनिदेव को राजस्थानी पगड़ी पहनाकर अकर्षक स्वरूप में श्रृंगार किया गया है वही पूरे मंदिर परिसर को कुश से कुटिया का आकार दिया है। शिप्रा में स्नान करने से घर में सुख समृद्धि आती है और भगवान आशीर्वाद देते हैं। 

शनिचरी अमावस पर स्नान करने आए श्रद्धालुओं ने बताया कि आज शनिचरी अमावस्या और सर्वप्रथम अमावस्या दोनों होने से विशेष महत्व है यहां पर स्नान करने से परिवार पर पढ़ने वाला शनि का प्रभाव कम होता है। इसीलिए हम भी स्नान करने आए हैं । स्नान करने के लिए इंदौर से संतोष वर्मा आए थे उन्होंने बताया कि कई वर्षों से मै स्नान करने  के लिए आ रहा हूं हर शनिचरी अमावस्या को यहां पर स्थान करने अवश्य आता हूं।