गयाकोटा सप्त ऋषि मंदिर मे श्राद्ध पक्ष में पितरों के निमित्त परिजनों ने चढ़ाया सप्त ऋषियों को दूध,शनिवार से प्रारंभ हो गया

गयाकोटा सप्त ऋषि मंदिर मे श्राद्ध पक्ष में पितरों के निमित्त परिजनों ने चढ़ाया सप्त ऋषियों को दूध,शनिवार से प्रारंभ हो गया

उज्जैन | अंक पात स्थित गयाकोटा सप्त ऋषि मंदिर मे श्राद्ध पक्ष में पितरों के निमित्त परिजनों ने चढ़ाया सप्त ऋषियों को दूध,शनिवार से प्रारंभ हो गया है। पूर्णिमा तिथि पर  अंकपात के गयाकोठा मंदिर में हजारों लोगों ने पूर्वजों के निमित्त जल-दूध से तर्पण और पिंडदान किया 

आज सुबह से ही अंकपात क्षेत्रगया कोटा स्थित सप्त ऋषि मंदिर पर शहर सहित प्रदेश से आए सैकड़ों परिजन की लंबी कतार सप्त ऋषि महाराज को दूध चढ़ाने एवं पूजन करने के लिए  लगी अवंतिका खंड में उल्लेख है कि भगवान श्री कृष्ण ने अपने गुरु सांदीपनि के पुत्रों का यहीं पर तर्पण किया था मान्यता है कि गया कोटा तीर्थ पर तर्पण व पूजन का उतना ही महत्व है जितना बिहार के गया जी का यही कारण है कि श्राद्ध पक्ष के दौरान पितृ शांति के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु उज्जैन अंकपात स्थित गया कोटा आते हैं

पितृपक्ष में सूर्य दक्षिणायन होता है। शास्त्रों के अनुसार सूर्य इस दौरान श्राद्ध तृप्त पितरों की आत्माओं को मुक्ति का मार्ग देता है। कहा जाता है कि इसीलिए पितर अपने दिवंगत होने की तिथि के दिन पुत्र-पौत्रों से उम्मीद रखते हैं कि कोई श्रद्धापूर्वक उनके उद्धार के लिए पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध कार्य करे। श्राद्ध तिथि अनुसार पूर्णिमा से अमावस्या तक होता हैं

कई पीढ़ी की पोथी है  पुरोहितों के पास पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध की विधि में कुल के नाम के साथ पूर्वजों के नाम का उल्लेख का विशेष महत्व है आम लोगों के कई पीढ़ी और पूर्वजों के नाम याद रखना आसान नहीं होता है इसमें तीर्थ पुरोहितों के पास उपलब्ध पोथी बड़ी सहायक होती है  उज्जैन के अधिकांश तीर्थ पुरोहितो के पास 500 वर्ष पूर्व के अनेक परिवारों के पूर्वजों के नामों की पोथी बनी हुई है चैनल से चर्चा में शासकीय तीर्थ पुरोहित आनंद जोशी लोटा गुरु  ने बताया कि 16 दिवस के श्राद पक्ष में परिजन अपने पितरों का तिथि अनुसार श्राद्ध कर्म  पूजन घर परिवार की सुख समृद्धि की कामना करेंगे |