कलेक्टर की अध्यक्षता में हुई महाकाल मंदिर प्रबंध समिति की बैठक, हादसे में झुलसे लोगों को मंदिर समिति भी एक-एक लाख रुपये मुआवजा देगी

कलेक्टर की अध्यक्षता में हुई महाकाल मंदिर प्रबंध समिति की बैठक, हादसे में झुलसे लोगों को मंदिर समिति भी एक-एक लाख रुपये मुआवजा देगी

  • कलेक्टर की अध्यक्षता में हुई महाकाल मंदिर प्रबंध समिति की बैठक,
  • बैठक में हुए महत्वपूर्ण निर्णय,
  • महाकाल मंदिर हादसे में झुलसे लोगों को मंदिर समिति भी एक-एक लाख रुपये मुआवजा देगी,
  • रंग पंचमी पर्व पर संपूर्ण महाकाल मंदिर परिसर में नहीं खेली जाएगी होली, केवल निभाई जाएगी परंपरा,
  • पंडे, पुजारी, पुरोहित और प्रतिनिधियों को बगैर आईडी कार्ड के मंदिर में नहीं मिलेगा प्रवेश, अधिकृत लोगो की सूची की गई चस्पा,
  • मंदिर में मोबाइल लाना पूरी तरह प्रतिबंध,

उज्जैन | महाकाल लोक कंट्रोल रूम में बुधवार शाम को महाकाल मंदिर प्रबंध समिति की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई । यह बैठक जिला कलेक्टर व मंदिर समिति के अध्यक्ष नीरज कुमार सिंह की अध्यक्षता में हुई। जिसमें मंदिर प्रशासक, पुजारी और मंदिर समिति सदस्य मौजूद रहे। 

महाकाल मंदिर समिति के प्रशासक संदीप सोनी ने बताया कि बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि होली पर्व पर आगजनी की घटना में झूलसे लोगों को महाकाल मंदिर प्रबंध समिति एक-एक लाख रुपये मुआवजा देगी। यहां बता दे की मुख्यमंत्री ने भी घायलों को एक एक लाख रुपए मुआवजा देने की बात कही थी । इस प्रकार अब प्रत्येक घायलों को दो-दो लाख रुपये मुआवजा मिलेगा।तीन दिन बाद मनाए जाने वाले रंग पंचमी पर्व पर संपूर्ण मंदिर परिसर में रंगों से खेलने पर पूरी तरह प्रतिबंध रहेगा। केवल परंपरा अनुसार एक लोटा प्राकृतिक रंग बाबा महाकाल को अर्पित किया जाएगा। भस्म आरती के दौरान प्रत्येक श्रद्धालुओं की जगह-जगह जांच होगी। महाकाल मंदिर में किसी भी पुजारी, पुरोहित, पंडित या प्रतिनिधि को बगैर कार्ड के एंट्री नहीं मिलेगी। खासकर गर्भगृह, गलियारा और नंदीहाल में कार्ड दिखाना अनिवार्य होगा। इसके साथ ही इन स्थानों पर मोबाईल पूरी तरह प्रतिबन्ध रहेगा । वही मंदिर में प्रवेश करने वाले श्रद्धालुओं को भी मोबाइल नहीं लाने दिया जाएगा।

कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने कहा कि रंग पंचमी पर्व का स्वरूप पारंपरिक होगा। केवल परंपरा को ही कायम रखा जाएगा। टेसू और केसर के फूलों से बना रंग बाबा महाकाल को अर्पित होगा । बाहर से कोई भी सामग्री मंदिर में नहीं आने दी जाएगी। गर्भगृह में जाने वाले पुजारी पुरोहित व प्रतिनिधियों की संख्या एक सप्ताह के भीतर तय कर दी जाएगी। मंदिर समिति द्वारा पूर्व निर्धारित नियमों का शक्ति से पालन करवाया जाएगा।