राजसी ठाठ बाँट के साथ निकली बाबा महाकाल की सवारी, चंद्रमौलेश्वर स्वरूप में निकले बाबा महाकाल

राजसी ठाठ बाँट के साथ निकली बाबा महाकाल की सवारी, चंद्रमौलेश्वर स्वरूप में निकले बाबा महाकाल
  • सावन माह के दूसरे सोमवार को राजसी ठाठ बाँट के साथ निकली बाबा महाकाल की सवारी,
  • चंद्रमौलेश्वर स्वरूप में निकले बाबा महाकाल, 
  • तेज बारिश के बीच तरबतर होकर भक्तों ने झांझ मंजीरे व डमरु बजा कर गाए भजन,

उज्जैन | महाकालेश्वर मंदिर से शाम 3:30 बजे बाबा की पालकी का पूजन किया गया। उसके बाद शाम 4 बजे बाबा नगर भ्रमण पर निकले। मंदिर से शुरू हुई बाबा की  सवारी नगर के प्रमुख मार्गो से होती हुई शिप्रा नदी पहुंचेगी। जहां शिप्रा नदी के रामघाट पर जल अभिषेक के बाद  सवारी पुनः महाकाल मंदिर के लिए रवाना होगी। मान्यता हे की भगवान महाकाल  सवारी   के रूप में अपनी प्रजा का हाल जानने के लिए नगर भ्रमण पर निकलते हे। वहीँ अपने राजा की एक झलक पाने के लिए प्रजा भी घंटो तक सडक के किनारे इंतजार करती हे। शाम को पूजन के बाद राजा महाकाल को चाँदी की पालकी में बैठाकर मंदिर से बाहर लाया गया। सवारी   के आगे घोडा , बेंड , पुलिस टुकड़ी तथा भजन मंडलियाँ चल रही थी। गाजे बाजे के साथ निकल रही  सवारी  का सफ़र लगभग आठ किलोमीटर का है। खास बात तो यह है कि सवारी शुरू होने के पहले ही तेज बारिश शुरू हो चुकी है। बावजूद इसके भक्तों का उत्साह कम नहीं हो रहा। यहां महिला युवा व युवतियां बारिश में तरबतर हो कर भोले के भजनों पर झूमते गाते नजर आए। यहां झांझ मंजीरे ढोल नगाड़े व डमरु बजाकर भक्तों ने भोले के भजन भी गाए। वहीं दूसरी ओर सवारी को देखने के लिए हजारों श्रद्धालु सड़कों के दोनों ओर तेज बारिश में भीगते दिखे।