सब तीर्थो से बढ़कर है बाबा  महाँकाल की ये नगरी -पँ उपाध्याय 

कथा के छठे दिन पंचकोशी महिमा का बताया व्रतांत

सब तीर्थो से बढ़कर है बाबा  महाँकाल की ये नगरी -पँ उपाध्याय 
पूजन अर्चन करते यजमान

 

सब तीर्थो से बढ़कर है बाबा  महाँकाल की ये नगरी -पँ उपाध्याय 

तराना नगर के नाना महाराज मंदिर परिसर में चल रही स्कंद पुराण के छठे दिन यजमान जितेंद्र भाटी द्वारा सपत्नीक व्यासपीठ का पूजन अर्चन किया गया स्कंद पुराण कथा व्यास पँ हरिओम उपाध्याय  द्वारा  स्कन्द पुराण के अवंतिका खंड के अंतर्गत बताते हुए कहा कि महाकाल वन में  महादेव कालों के काल महाकाल बन बैठे हैं ,इस नगरी को कुशस्थली , कनकश्रृंगा , अमरावती, पद्मावती, कुमुदवती ,अवंतिका ओर उज्जैनिय के नाम से भी जाना जाता है इसी नगरी में एक वेदप्रिय नामक ब्राह्मण  रहते थे जो शिव जी के पार्थिव शिवलिंग का प्रतिदिन पूजन करते थे इनके द्वारा की गई पूजा को जब दूषण नाम के राक्षस ने भंग करने का प्रयास किया और तलवार लेकर के वेदप्रिय ब्राह्मण को डरा कर के यह कहने लगा कि मैं तेरा काल बंद करके आया हूं तब उस राक्षस से अपने भक्तों को बचाने के लिए बाबा महाकाल बन कर के आए और अपने भक्तों की रक्षा की महाकाल क्षेत्र में मां हरसिद्धि मैया काल भैरव भगवान और शिप्रा मैया के दर्शन और पूजन से व्यक्ति की सब मनोकामना पूर्ण होती है ।काशी से भी बढ़कर महाकाल  क्षेत्र को बताया गया है कथा के अंतर्गत उज्जैन में स्थित 84 महादेव  की महिमा,  कोटितीर्थ,पंचकोशी की महिमा , सप्तसागर के महत्व को बताया गया