गुर्जर समाज की अनूठी परंपरा अमावस्या के दूसरे दिन गायों को सजा धजाकर खिलाया जाता है छोड़ा

गुर्जर समाज की अनूठी परंपरा अमावस्या के दूसरे दिन गायों को सजा धजाकर खिलाया जाता है छोड़ा

गुर्जर समाज की अनूठी परंपरा अमावस्या के दूसरे दिन गायों को सजा धजाकर खिलाया जाता है छोड़ा
गाय को छोड़ा खिलवाते हुए युवक

गुर्जर समाज की अनूठी परंपरा अमावस्या के दूसरे दिन गायों को सजा धजाकर खिलाया जाता है छोड़ा

 तराना नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रो में गोवर्धन पूजा एवं सुहाग पड़वा का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है लेकिन इस वर्ष सूर्य ग्रहण होने के कारण दीपावली के तीसरे दिन पड़वा का पर्व मनाया गया नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रो में बड़े बुजुर्ग के पैर छूकर आर्शिवाद लेते है साथ ही गुर्जर समाज द्वारा एक अनूठी परंपरा का निर्वाहन  किया जाता है जहाँ गुर्जर बाहुल्य क्षेत्र है वहाँ गाय को एक दिन पूर्व मेहंदी लगाकर सजाया जाता है  ततपश्चात उसका गाँव के सरपंच एवं प्रतिष्ठित लोगो द्वारा विधिविधान के साथ पूजन अर्चन कर ढोल धमाकों के साथ पूरे गाँव मे भृमण करवाया जाता है जिसमें लकड़ी पर लपेटे हुए चमड़े रूपी राक्षस का वध गायों के सींगो द्वारा फाड़ कर किया जाता है जिसकी गाय छोड़ फाडती है उसके मालिक को इनाम दिया जाता है उपरोक्त जानकारी राजेश गुर्जर द्वारा दी गई