उज्जैन में खूब लड़े पाड़े ,पड़वा के दिन होती है परंपरागत पाड़ों की लड़ाई 

उज्जैन में खूब लड़े पाड़े ,पड़वा के दिन होती है परंपरागत पाड़ों की लड़ाई 

-उज्जैन में खूब लड़े पाड़े 
-पड़वा के दिन होती है परंपरागत पाड़ों की लड़ाई 
-इस वर्ष 8 जोड़ों ने दिखाया मैदान में दम
-थाने को नहीं लगी जानकारी

उज्जैन|  प्रति वर्ष की तरह इस वर्ष भी परंपरा अनुसार उज्जैन में हजारों लोगों ने पहाड़ों की लड़ाई का आनंद लिया। भूखी माता चौराहे के पास उजड़ खेड़ा हनुमान मंदिर तक जाने वाली सड़क पर एक खेत में यह आयोजन किया गया। इस वर्ष 8 जोड़ों ने मैदान में अपने हुनर दिखाए। सबसे पहली लड़ाई शंकर और भीम के बीच हुई जिसे देखने के लिए आसपास के क्षेत्रों से हजारों की संख्या में दर्शक भी जमा हुए। पूरी लड़ाई के दौरान दोनों ही पाड़ों के मालिक और उनके परिवार पाड़ों को संभालते नजर आए।दोनों पाड़ों में बहुत अधिक संघर्ष होने के बाद उनके पैरों में रस्सी डालकर दूर किया गया।इसी तरह उज्जैन में होने वाली यह परंपरागत पहाड़ों की लड़ाई कई राउंड में चलती रही। पाड़ा मालिकों ने पहचान न बताने की शर्त पर जानकारी दी कि कई वर्षों से उनके पूर्वज पाड़ों की लड़ाई का आयोजन करते आ रहे हैं।यह प्रथा कब से है और क्यों शुरू की गई है इसकी जानकारी उन्हें भी नहीं है। हालांकि प्रतिवर्ष स्थानीय पुलिस द्वारा इन पर प्रतिबंध लगाया जाता है लेकिन फिर भी इस तरह के आयोजनकर्ता और हजारों की तादाद में दर्शक प्रतिवर्ष जमा होते हैं और दोपहर से शाम तक पाड़ों की लड़ाई का रोमांच बना रहता है। कानून की नजर से देखें तो यह पूरा आयोजन पशु क्रूरता अधिनियम के अंतर्गत आता है।पिछले वर्षों में कई बार पाड़े लड़वाने वाले लोगों पर पुलिस ने कार्रवाई भी की है। इस वर्ष इतनी बड़ी संख्या में दर्शकों का इकट्ठा होना और संबंधित थाना पुलिस को इसकी जानकारी ना होना पुलिस की कार्यक्रम प्रणाली पर एक बड़ा प्रश्नचिन्ह लगाता है।खैर कुछ भी हो लेकिन शहर की जनता ने पाड़ों की लड़ाई का खूब आनंद लिया।