श्रीमद भागवत कथा के छठवें दिन श्री कृष्ण रुक्मणि विवाह प्रसंग में झूमे श्रोता

कृष्ण रुक्मणि विवाह प्रसंग में झूमे श्रोता

श्रीमद भागवत कथा के छठवें दिन श्री कृष्ण रुक्मणि विवाह प्रसंग में झूमे श्रोता
कृष्ण रुक्मणि विवाह झलकियां

श्रीमद भागवत कथा के छठवें दिन श्री कृष्ण रुक्मणि विवाह प्रसंग में झूमे श्रोता

तराना-औदीच्य ब्राम्हण धर्मशाला तराना में पाठक परिवार द्वारा आयोजित सप्तदिवसीय संगीतमय श्रीमद भागवत कथा के छड़वे दिन कथा व्यास का पूजन अर्चन मुख्ययजमान राजेंद्र कुमार पाठक,महेंद्र कुमार पाठक,मिथलेश पाठक,राहुल  भट्ट एवं भांजी मिष्टि भट्ट द्वारा सपत्नीक पूजन अर्चन किया गया तत्पश्चात कथा का शुभारंभ हुआ कथा व्यास पंडित कमल व्यास द्वारा श्रीमद भागवत कथा के छड़वे दिवस कृष्ण रुक्मणि विवाह का प्रसंग सुनाते हुए बताया कि भगवान श्री कृष्ण का प्रथम विवाह विदर्भ देश के राजा की पुत्री रुक्मणि के साथ सम्पन्न हुआ लेकिन रुक्मणि को श्री कृष्ण द्वारा हरण कर विवाह किया गया इस कथा में समझाया कि रुक्मणि स्वयं साक्षात लक्ष्मी ने और वह नारायण से दूर रह ही नही सकती यदि जीव अपने धन अर्थात लक्ष्मी को भगवान के काम मे लगाए तो ठीक नही तो फिर वह धन चोरी द्वारा बीमारी द्वारा या अन्य मार्ग से हरण हो ही जाता है धन को परमार्थ में लगाना चाहिए और जब कोई लक्ष्मीनारायण को पूजता है या उनकी सेवा करता है तो उन्हें भगवान की कृपा स्वतः ही प्राप्त हो जाती है भगवान कृष्ण की अनेक लीलाओं का वर्णन कथा में किया गया साथ ही भगवान कृष्ण की ढोल धमाकों के साथ बारात निकाल कर वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ कृष्ण रुक्मणि विवाह संपन्न करवाया जिसमे भक्तगणों द्वारा कृष्ण भजनों पर नाचते थिरकते दिखाई दिए