नाना महाराज तराणेकर प्रगटोत्सव कार्यक्रम अन्तर्गत नाना के भक्तो ने  निकाली पालकी

नगरवासियो द्वारा पुष्पवर्षा कर किया यात्रा का स्वागत

नाना महाराज तराणेकर प्रगटोत्सव कार्यक्रम अन्तर्गत नाना के भक्तो ने  निकाली पालकी
पालकी यात्रा की झलकियां

नाना महाराज तराणेकर प्रगटोत्सव कार्यक्रम अन्तर्गत  निकली शोभायात्रा

नगर में पालकी यात्रा का हुआ स्वागत सत्कार

नाना महाराज गुरु मंदिर प्रांगण तराना में तीन दिवसीय प्रगटोत्सव( गुरु मंत्र दिवस) का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया परम पूज्य समर्थ श्री नानां महाराज तराणेकर का प्रगटोत्सव कार्यक्रम प्रतिवर्षानुसार कार्तिक पूर्णिमा पर आयोजित किया जाता है जिसमे महाराष्ट के कोने कोने से भक्तगण कार्यक्रम में शिरकत करते है वहीँ इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण होने के कारण नाना की पालकी कार्तिक माह की चौदस को निकाली गई साथ ही नानां महाराज के शिष्य अगासे काका की पादुका खामगाँव महाराष्ट्र से लेकर रात्रि में तराना पहुँची आज प्रात: 6.30 बजे काकड़ आरती से उत्सव प्रारंभ हुआ प पू नाना की मंगल आरती की मंत्र स्तोत्रों के साथ की गई सुबह 8.30 बजे प्रभाती भजन किए गए तत्पश्चात सुबह 10 बजे पालकी यात्रा नगर के प्रमुख मार्गो से निकाली गई  पालकी यात्रा का नगर के मंगलनाथ मंदिर, साई चिंतन मंच,मॉर्निंग वॉक ग्रुप सहित समाजसेवियों द्वारा फूलों से वर्षा कर स्वागत किया ततपश्चात तेजाजी चौक स्थित वीर तेजा उत्सव समिति प्रतिवर्ष नाना के भक्तो के लिए पोहा एवं दूध की प्रसादी का आयोजन करती है साथ ही समिति के दीपक सोमानी एवं शेरू जाट सहित सदस्यो द्वारा नाना महाराज के सुपौत्र एवं सेवा न्यास अध्यक्ष संजय तराणेकर,रवि पुणतांबेकर,नानां सेवक उल्हासराव वणकर का दुपट्टा भेंट कर स्वागत सम्मान किया गया पालकी यात्रा में दिगम्बरा दिगम्बरा की धुन पर भक्तगण नाचते थिरकते दिखाई दिए तत्पश्चात पालकी पुनःउसी मार्ग से होती हुई मंदिर प्रांगण पहुँची ततपश्चात भंडारे का आयोजन किया गया एवं तराना संगीत सम्मान समारोह अन्तर्गत पुणे से पधारी सो.बकुल ताई पंडित का सम्मान किया साथ ही बकुल ताई द्वारा अपनी समधुर आवाज में शानदार प्रस्तूति प्रदान की गई 

प्रगटोत्सव (गुरु मंत्र दिवस) का महत्व 

नाना महाराज को मात्र 11 वर्ष की उम्र में वासुदेवानंद सरस्वती ने गुरु मंत्र दिया था। उन्होंने 36वें वर्ष में नर्मदा परिक्रमा की थी और तभी उन्हें माँ नर्मदा ने दर्शन भी दिए थे।आज भी गीत मार्तंड के माध्यम से नाना महाराज के व्यक्तित्व व कृतित्व को सहज रूप से भक्तों के सामने रखा जाता है। नाना भले ही आज दैहिक रूप से हमारे बीच नहीं पर ऐसा महसूस होता है कि वे आज भी हमारे आसपास ही रहकर भक्तो को दर्शन देते है