"सफलता की कहानी" जिला दिव्यांग पुनर्वास केन्द्र से गणपत को मिली ट्रायसिकल, अब पुन: अपना छोटा-सा व्यवसाय प्रारम्भ कर सकेंगे

"सफलता की कहानी" जिला दिव्यांग पुनर्वास केन्द्र से गणपत को मिली ट्रायसिकल, अब पुन: अपना छोटा-सा व्यवसाय प्रारम्भ कर सकेंगे

"सफलता की कहानी" जिला दिव्यांग पुनर्वास केन्द्र से गणपत को मिली ट्रायसिकल, अब पुन: अपना छोटा-सा व्यवसाय प्रारम्भ कर सकेंगे

उज्जैन । शहर के नानाखेड़ा निवासी 51 वर्षीय गणपतसिंह अस्थिबाधित हैं। पहले वे ट्रायसिकल के माध्यम से सामान्य खाद्य पदार्थों जैसे बिस्किट, चॉकलेट, टॉफी आदि का व्यवसाय करते थे तथा इस प्रकार उनका जीवन यापन हो जाता था। कुछ दिन पहले ट्रायसिकल के टूट जाने से उनका काम पूरी तरह से बन्द हो गया था, जिस वजह से वे काफी परेशान थे। उन्होंने जिला दिव्यांग पुनर्वास केन्द्र में ट्रायसिकल के लिये आवेदन किया। उनका परीक्षण करने के पश्चात उन्हें शुक्रवार को केन्द्र द्वारा ट्रायसिकल वितरित कर दी गई।

गणपतसिंह अब काफी खुश हैं। ट्रायसिकल प्राप्त होने से वे अब रोजमर्रा के कार्य में किसी पर निर्भर नहीं रहेंगे तथा पुन: अपना छोटा-सा व्यवसाय ट्रायसिकल के माध्यम से प्रारम्भ कर सकेंगे। उन्होंने इसके लिये जिला दिव्यांग पुनर्वास केन्द्र को धन्यवाद दिया है। इस दौरान केन्द्र के प्रशासनिक अधिकारी श्री सुनील खुराना एवं अन्य अधिकारीगण मौजूद थे।