नागचंद्रेश्वर मंदिर से बल लेकर निकला पंच कोशी यात्रा के लिए भ्रमण पर प्रशासन

नागचंद्रेश्वर मंदिर से बल लेकर  निकला  पंच कोशी यात्रा के लिए  भ्रमण पर  प्रशासन

उज्जैन | पटनी बाजार स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर से आज सुबह प्रशासन का अमला पहुंचा दर्शन पूजन कर पंचकोशी मार्ग की व्यवस्था जानने के लिए प्रशासन तैयारी पेयजल व्यवस्था श्रद्धालुओं के ठहरने की व्यवस्था चिकित्सा एवं सुरक्षा को लेकर जायजा लेने निकल पड़ा। पंचकोशी यात्रा के लिए ग्रामीण श्रद्धालुओं में काफी उत्साह देखा जाता है। बाजार स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर के देव दर्शन कर पंचकोशी यात्रा के भ्रमण पर निकले संभागायुक्त  संदीप यादव जी आईजी  संतोष कुमार सिंह कलेक्टर पुलिस अधीक्षक नगर निगम आयुक्त आदि प्रशासनिक अधिकारी साथ में है |

धार्मिक और पौराणिक नगरी उज्जैन में द्वादश ज्योर्तिलिंगों में से एक बाबा महाकाल विराजित हैं। बाबा महाकाल, महाकाल वन के मध्य में विराजित हैं, जिनके चारों और चारों दिशाओं में चार द्वारपाल भी शिवलिंग के रूप में विराजित हैं। कहा जाता है कि जो भी महाकाल वन में भ्रमण के साथ इनकी भक्ति करता है उसे न केवल महाकाल की कृपा प्राप्त होती हैं। बल्कि व्यक्ति स्वास्थ्य, यौवन, धन, ऐश्वर्य और चिरकालिक परमानंद को भी प्राप्त करता हैं। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर उज्जैन में प्रतिवर्ष अनादिकाल से पंचक्रोसी या पंचकोशी यात्रा की जाती है।

स्कंदपुराण में है जिक्र
पंचकोशी यात्रा का वर्णन स्कंदपुराण में भी हैं। जिसमें कहा गया हैं, कि काशी में जीवनभर रहनें से जितना पुण्य अर्जित होता हैं, उतना पुण्य वैशाख मास में मात्र पांच दिन महाकाल वन में प्रवास करने पर ही मिल जाता हैं। इस यात्रा को पंचकोशी इसलिए कहा जाता हैं, क्योंकि यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को प्रत्येक पांच कोस पर विश्राम करना पड़ता हैं।

एक कोस चार किलोमीटर के बराबर माना जाता हैं, इस हिसाब से श्रद्धालुओं को 20 किलोमीटर रोज चलकर आराम करना होता हैं। किंतु शहरी विस्तार एवं उज्जैन के आसपास बढ़ती आबादी ने इस यात्रा को 118 किमी के करीब कर दिया हैं।