विजया दशमी पर्व पर भगवान महाकाल की सवारी राजसी ठाट-बाट से निकाली गई

विजया दशमी पर्व पर भगवान महाकाल की सवारी राजसी ठाट-बाट से निकाली गई
  • दशमी तिथि होने के कारण महाकाल मंदिर से शुरू हुई बाबा महाकाल की सवारी,
  • परंपरा अनुसार प्रतिवर्ष दशमी तिथि पर निकाली जाती है बाबा की सवारी,

उज्जैन | सोमवार शाम को दशमी लगने के कारण परंपरा अनुसार आज उज्जैन में बाबा महाकाल की सवारी निकाली गई। भगवान महाकाल राजशी ठाठ बाट के साथ नगर भ्रमण पर निकले। बाबा की एक झलक पाने के लिए लोगो का हुजूम सडको पर देखा गया।  बाबा महाकाल की सवारी वर्ष में एक ही बार विजय दशमी पर्व पर नए शहर में आती है और यहाँ दशहरा मैदान पर शमी वृक्ष पूजन के बाद पुनः महाकाल के लिए रवाना हो जाती है |

चार बजे मंदिर में बाबा का पूजन अभिषेक किया गया | इसके बाद बाबा की पालकी उठाई गई | महाकाल मंदिर से शुरू हुई बाबा की सवारी नगर के प्रमुख मार्गो से होती हुई उज्जैन के दशहरा मैदान तक पहुंची  । दशहरा मैदान पर अभिषेक के बाद सवारी पुनः महाकाल मंदिर के लिए रवाना हुई | दरअसल भगवान महाकाल सवारी के रूप में अपनी प्रजा का हाल जानने के लिए नगर भ्रमण पर निकलते हे। वहीँ अपने राजा की एक झलक पाने के लिए प्रजा भी घंटो तक सडक के किनारे इंतजार करती हे।

शाम चार बजे पूजन के बाद राजा महाकाल को चाँदी की पालकी में बैठाकर मंदिर से बाहर लाया गया। सवारी के आगे हाथी , घोडा , बेंड , पुलिस टुकड़ी तथा भजन मंडलियाँ चल रही थी। गाजे बाजे के साथ निकली सवारी का सफर लगभग 12 किलोमीटर का रहेगा ।