ये कैसा अमृत महोत्सव जहां खाट पर चल रही जिंदगी

ये कैसा अमृत महोत्सव जहां खाट पर चल रही जिंदगी

बैतूल | प्रशासन की अनदेखी से ग्रामीण किस तरह मजबूर हो जाते है इसकी बानगी बैतूल जिले के शाहपुर विकासखंड की पावर झंडा पंचायत के जामुन ढाणा गांव में देखने को मिल जायेगी इस तस्वीर को देखकर आप भी कह सकते है ये कैसा विकास जहां पूरा देश आजादी की 75वी वर्षगांठ मानने की तैयारी कर रहा है उसी देश के एक छोटे से गांव में मूलभूत सुविधाओं से वंचित ग्रामीण हर साल अपनो की जिंदगी बचाने के लिए खुद जिंदगी को दाव पर लगाकर सफर करते है।इनकी मजबूरी ऐसी की की दर्जनों बार गुहार लगाने के बाद भी ना तो इनसे वोट मांगकर सरकार बनाने वाले  राजनेता ने इनकी पीड़ा समझी और ना ही विकास की गंगा बहाने वाली सरकार के अधिकारियों ने इनकी सुध ली नदी पर पुल नही बनने की वजह से हालात ये है की बारिश के मौसम में जब भी गांव में कोई बीमार पड़ता है ये लोग उसे खाट पर लिटाकर अपनी जान को जोखिम में डालकर उफनती नदी को पार करके मरीज को डाक्टर के पास ले जाते आज ऐसा ही कुछ हुआ की गांव के लोगो को फिर अपनी जान को जोखिम में डालना पड़ा दर असल जामुन ढाणा गांव के रूपेश टेकाम की गर्भवती पत्नी मयंती टेकाम को अचानक प्रसव पीड़ा शुरू हो गई जिसके चलते मयंती दर्द से तड़पने लगी मयंती को प्रसव पीड़ा से निजात दिलाने के लिए रूपेश ने गांव के लोगो से मदद मांगी ग्रामीणों ने रूपेश का साथ देते हुए  रूपेश की गर्भवती पत्नी मयंती को खाट पर लिटाकर अपनी जान की परवाह किए बिना  बड़े एतिहात के साथ खाट पर लेटी गर्भवती महिला को लेकर उफनती नदी पार की ओर उसे उपचार के लिए शाहपुर लेकर पहुंचे लेकिन यहां पर भी माचना नदी उफान पर होने के कारण उन्हें वापस लौटकर महिला को भौरा के शासकीय अस्पताल ले जाना पड़ा अस्पताल पहुंचाने के बाद ग्रामीणों ने  राहत की सास ली।

इस मामले की जानकारी लगने के बाद जयस संगठन के प्रदेश अध्यक्ष का कहना है की आजादी के 75 वर्ष पूरे हो गए पूरा देश आजादी का 75वा अमृत महोत्सव मना रहा है लेकिन इस गांव में नदी पर पुल नही बना है  बच्चो को भी स्कूल पड़ने के लिए इसी नदी को पार करना पड़ता है अगर प्रशासन तीन दिनों में नदी पर पुल बनाने के मसले पर कोई निर्णय नहीं लिया है तो वे आंदोलन करने पर मजबूर हो जाएंगे  जिसकी सारी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।