गोगा नवमी का पर्व वाल्मीकि समाज ने हर्षोल्लास के साथ मनाया

तराना गोगा नवमी का पर्व समाजजनो ने हर्षोल्लास के साथ मनाया

गोगा नवमी का पर्व वाल्मीकि समाज ने हर्षोल्लास के साथ मनाया
गोगानवमी पर छड़ी का आयोजन

गोगा नवमी का पर्व वाल्मीकि समाज ने हर्षोल्लास के साथ मनाया

तराना |अर्पित बोड़ाना भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को वाल्मीकि समाज द्वारा गोगा नवमी मनाई जाती है।पौराणिक कथाओं के अनुसार गोगा नवमी के दिन गोगा जी को सांपों के देवता के रूप में पूजते हैं। इन्हें गोगाजी, गुग्गा वीर, जाहिर वीर और राजा मण्डलिक आदि नामों से भी जानते हैं गोगा देव को गुरु गोरखनाथ का प्रमुख शिष्य माना जाता है। राजस्थान के छह सिद्धों में गोगाजी को प्रथम मानते हैं। इस त्योहार को राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के अलावा अन्य कई राज्यों में धूमधाम से मनाते हैं गोवा नवमी का महत्व-भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष की नवमी गोगा देव का जन्म हुआ था। गोगा देव की पूजा 9 दिनों तक की जाती है। यानी पूजा-पाठ श्रावणी पूर्णिमा से आरंभ होकर नवमी तिथि को समाप्त होता है। आज के दिन लोग घरों में अपने ईष्ट देवता गोगा देवी की वेदी बनाते हैं और  भजन-कीर्तन करते हैं साथ ही वाल्मिकी समाज तराना द्वारा देर शाम को छड़ी निकाली गई जिसमें  डीजे एवं ढोल की थाप पर समाजजन थिरकते दिखाई दिए