छत्तीसगढ़ में BJP ने कैसे पलट दी भूपेश बघेल की बाजी

छत्तीसगढ़ में BJP ने कैसे पलट दी भूपेश बघेल की बाजी

छत्तीसगढ़ |  विधानसभा चुनाव के आए नतीजों ने एक तरफ कांग्रेस को बड़ा झटका दिया तो वहीं भाजपा के कार्यकर्ताओं और नेताओं में खुशी की लहर दौड़ गई. बीजेपी ने छत्तीसगढ़ में 54 सीटों पर जीत हासिल कर शानदार प्रदर्शन किया. इन नतीजों ने छत्तसीगढ़ विधानसभा चुनाव को लेकर जारी किए गए एग्जिट पोल को भी गलत साबित कर दिया. 2018 के मुकाबले बीजेपी ने इस बार तीन गुना से भी अधिक सीटों पर जीत हासिल की है. इस बार के चुनाव में भाजपा की जीत में जिन चीजों ने मदद की है, उनमें सबसे प्रमुख यह है कि 47 विधानसभा सीटों पर नए उम्मीदवारों को उतारने का फैसला. इसके अलावा बीजेपी का भूपेश बघेल को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर घेरे रखना भी सफल रहा.

एक तरफ जहां साल 2018 में कांग्रेस ने 68 सीटों पर जीत हासिल की थीं. वहीं इस बार के चुनाव में लगभग आधी होकर 35 हो गई. गोंडवाना गणतंत्र पार्टी को पहली सीट मिली, इसके संस्थापक हरि सिंह मरकाम के बेटे तुलेश्वर ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 714 वोटों से हराया और पाली विधानसभा सीट से जीत हासिल की.

इन तीनों मुद्दों पर भूपेश बघेल ने लड़ा चुनाव
भूपेश बघेल ने इस बार का चुनाव केवल तीन मुद्दों पर लड़ा. इसमें पहला मुद्दा- कल्याणकारी राजनीति, विभिन्न हितधारकों के लिए योजनाओं पर 1.75 लाख करोड़ रुपये खर्च करना, दूसरा मुद्दा- नरम-हिंदुत्व, राम वन गमन पथ की योजना बनाना, यानी वह मार्ग, जिसका पालन राम ने अपने वनवास के दौरान किया था और तीसरा- क्षेत्रीय छत्तीसगढ़िया गौरव का आह्वान करना. लेकिन उन्हें कोयले और शराब उत्पाद शुल्क के परिवहन पर भ्रष्टाचार के कई आरोपों से जूझना पड़ा. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उनके करीबी लोगों के विभिन्न ठिकानों पर छापे मारे, उनके सलाहकारों को बुलाया और उनमें से कुछ के खिलाफ मामला दर्ज किया और उन्हें गिरफ्तार भी किया.

धर्मांतरण के मुद्दे पर बघेल सरकार की किरकिरी
भूपेश बघेल को प्रधानमंत्री आवास योजना के कार्यान्वयन न होने और संविदा कर्मचारियों को नियमित न करने पर नाराजगी का भी सामना करना पड़ा. आदिवासियों के बीच धर्मांतरण एक और मुद्दा था जिस पर भाजपा ने उन पर दबाव बनाया. चुनावी नतीजा सामने आने के बाद भूपेश बघेल ने हार मान ली और राजभवन को अपना इस्तीफा सौंप दिया. उन्होंने एक्स पर ट्वीट करते हुए कहा, ‘लोगों का जनादेश हमेशा सर्वोपरि रहा है. इस बात का संतोष है कि पिछले पांच वर्षों में मैंने आपसे किया हर वादा पूरा किया है और अपनी सर्वोत्तम क्षमता से प्रदेश की सेवा की है. लोगों की अपेक्षाएं और आकांक्षाएं ऊंची हैं और मैं उनकी बुद्धिमत्ता का सम्मान करता हूं.’