Ujjain : अब कोई भी खेत बिना सिंचाई के नहीं रहेगा, सभी खेतो को पानी मिलेगा- मुख्यमंत्री डॉ. यादव

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  • तराना में मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने नर्मदा क्षिप्रा बहुउद्देशीय माइक्रो उद्वहन सिंचाई परियोजना का लोकार्पण किया
  • अब कोई भी खेत बिना सिंचाई के नहीं रहेगा, सभी खेतो को पानी मिलेगा- मुख्यमंत्री डॉ. यादव
  • 2489.65 करोड़ की उद्वहन सिंचाई योजना के शुभारंभ के साथ ही 30 हजार हेक्टेयर क्षेत्र को अब पानी मिलेगा

सेंट्रल वॉइस न्यूज़ , उज्जैन। बड़ी प्रसन्नता की बात है कि नर्मदा क्षिप्रा बहुउद्देशीय माइक्रो उद्वहन सिंचाई परियोजना के शुभारंभ के साथ ही तराना क्षेत्र में माँ नर्मदा उतर आई है, जिस तरह ऋषि भागीरथ ने मां गंगा को धरती पर लाए थे, उसी तरह माँ नर्मदा भी मध्यप्रदेश की धरती पर लोगों के जीवन उद्धार के लिए आयी है। यह बात प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आज तराना में 2489.65 करोड़ रूपये लागत की नर्मदा क्षिप्रा बहुउद्देशीय माइक्रो उद्वहन सिंचाई परियोजना के शुभारंभ के अवसर पर कही। इस मौके पर मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने परियोजना का शुभारंभ वाल्व चालू कर किया। इसके साथ ही मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने जल संसाधन विभाग के 9.64 करोड़ रूपये लागत के इंदौर हाई लेवल ब्रिज का लोकार्पण, 5 करोड़ 73 लाख की लागत के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भवन का लोकार्पण तथा 5 करोड़ 21 लाख रूपये लागत की 11 नल जल परियोजनाओं का लोकार्पण एवं 7 करोड़ 15 लाख रूपये लागत के उपस्वास्थ्य केंद्र भवन तथा समग्र शिक्षा अभियान के अंतर्गत ग्राम कडेरी में हाई स्कूल भवन निर्माण का भूमि पूजन किया।

इस अवसर पर उज्जैन जिला प्रभारी एवं प्रदेश के कौशल विकास एवं रोजगार विभाग राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)  गौतम टेटवाल, अखाड़ा परिषद के महामंत्री  हरिगिरी महाराज, सांसद  अनिल फिरोजिया, शाजापुर विधायक  अरूण भीमावद, तराना विधायक  महेश परमार सहित क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि एवं गणमान्य नागरिक बड़ी संख्या में मौजूद थे।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने संबोधित करते हुए कहा कि हजारो साल से सत्ता, धर्म सत्ता के अधीन चलती है। यह संस्कृति सनातन संस्कृति के नाम से जानी जाती है। प्राचीन समय में इस व्यवस्था में गड़बड़ी होती थी, तो धर्म दण्ड के आधार पर दण्डित किया जाता था, यह हमारा गौरवशाली अतीत है। हमारी संस्कृति भगवान राम एवं श्रीकृष्ण के नाम से जानी जाती है। भगवान राम ने हमारे प्रदेश के चित्रकूट धाम में 11 साल व्यतीत किये थे। चित्रकूट धाम को हम अयोध्या की तरह विकसित करेंगे। इसी तरह भगवान श्री कृष्ण की प्रदेश एवं अन्य राज्यों में जहां-जहां लीलाएं हुई है, उसे हम तीर्थ के रूप में विकसित करेंगे। सिंहस्थ महाकुंभ मेले के लिए सभी व्यवस्थाएं सुनिश्चित करते हुए भविष्य में साधु-संतों एवं श्रृद्धालुओं को किसी प्रकार का कष्ट न हो, इसका प्रबंध किया जा रहा है। हमने माँ क्षिप्रा को सदैव स्वच्छ, अविरल और प्रवाहमान बनाने के लिए कान्ह क्लोज डक्ट और सेवरखेडी सिलारखेडी परियोजना पर कार्य चल रहा है। वर्षाकाल में माँ क्षिप्रा में बहने वाले पानी का संग्रहण किया जायेगा और जब माँ क्षिप्रा में जलस्तर कम होगा उस समय आवश्यकतानुसार संग्रहित जल क्षिप्रा नदी में छोड़ा जायेगा।

प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री ने विश्व में देश का मान बढ़ाया है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में हम किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं है। हमने पारस पत्थर को तो नहीं देखा है, केवल सुना है, कि वह लौहे को सोना बना देता है। किन्तु सूखे खेत को यदि पारस की तरह पानी मिल जाए तो वह फसल रूपी सोना किसानों को प्राप्त होगा और इससे किसान समृद्धशाली बनेगा। प्रधानमंत्री जी ने तय किया है कि कोई भी खेत बिना पानी के नहीं रहें, किसान को पानी उपलब्ध कराना हमारी जिम्मेदारी है। तराना, माकड़ौन, शाजापुर के कोई खेत खाली नहीं रहेंगे। हमने संकल्प किया है कि पूरे प्रदेश में एक-एक खेत में सिंचाई के लिए नर्मदा, पार्वती, कालीसिंध, ताप्ती, सोन नदी आदि के पानी की व्यवस्था की जायेगी। मध्यप्रदेश नदियों का मायका है। हमारा सौभाग्य है कि प्रदेश में 250 से अधिक नदियां निकलती है, जो आसपास के राज्यों में भी जीवन प्रदान कर रही है। इससे राजस्थान एवं मध्यप्रदेश के गांव में पानी पहुंचेगा। राज्यों के संबंध अच्छे बनने का संदेश देने के लिए प्रदेश के बुंदेलखण्ड, उत्तर प्रदेश एवं राजस्थान के लिए एक लाख करोड़ रूपये की योजना बनाई गई है।

किसानो क‍ी आय बढाने के लिए प्रतिबद्ध है प्रदेश सरकार

मुख्यमंत्री डॉ यादव ने कहा कि प्रदेश में किसानों के लिए अनेक योजनाएं बनाई गई हैं। प्रदेश में मुख्यमंत्री किसान सम्मन निधि प्रधानमंत्री कृषक समृद्धि योजना के तहत किसानों को राशि दी जा रही है। किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए उन्हें दूध उत्पादन से जोड़ा जा रहा है। इसके लिए किसानों को गाय पालने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। हमारी पहचान गौ-पालन से है और इसको बढ़ावा दिया जा रहा है। जिनके घर गाय है वह गोपाल और जिनके घर गाय का कुल वो गोकुल है। गाय पालने पर किसानों को सीधे-सीधे अनुदान दिया जायेगा। दूध उत्पादन पर गौपालक को 05 रूपये प्रति लीटर की दर से अनुदान देंगे। गौशालाओं को भी गाय पालन के लिए 20 रूपये से बढ़ाकर 40 रूपये प्रति गाय की दर से अनुदान दिया जायेगा। हमने निर्णय लिया है कि गाय का दूध खरीदकर मध्यप्रदेश को दूध उत्पादन के मामले में देश का नंबर वन राज्य बनाएंगे।

महिला सशक्तिकरण के लिए नौकर‍ियों में आरक्षण दिया जा रहा है

प्रदेश में नौकरियों एवं अन्य रोजगार के लिए महिलाओं को 35 प्रतिशत का आरक्षण दिया जा रहा है। महिलाओं के जीवन में बेहतरी लाने के लिए उन्हें रेडिमेड गार्मेन्ट की फैक्ट्रियों में काम करने पर उन्हें 5 हजार रूपये महिनें का इंसेन्टिव बोनस दिया जायेगा। प्रदेश में युवाओं, किसानों सहित सबकी बेहतरी के लिए भी काम किया जा रहा है। उपनिरीक्षक की भर्ती प्रदेश में चालु की जा रही है। हाल ही में पुलिस के 6500 से अधिक जवानों को नियुक्ति के आदेश दिये गये हैं और 8500 पदों पर नई भर्तीयां की जाएगी। स्वास्थ्य विभाग में 42000 पदों पर नियुक्ति करने जा रहे हैं, इस प्रकार प्रदेश में एक वर्ष में एक लाख से अधिक युवाओं की भर्ती करने का निर्णय लिया गया है।

नर्मदा क्षिप्रा बहुउद्देशीय माईक्रो उद्वहन सिंचाई परियोजना

मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में सिचाई, पेयजल और औद्योगिक क्षेत्र में जल के संकट के समाधान के लिए यह परियोजना है। इस परियोजना में निमाड़ क्षेत्र से नर्मदा का जल उद्वहन कर मालवा क्षेत्र के उज्जैन एवं शाजापुर जिलों के 100 ग्रामों में लगभग 30 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिचाई के लिए 10 क्यूमेक्स जल एवं पेयजल व औद्योगिक उपयोग के लिए 5 क्युमेक्स जल उपलब्ध कराया जाएगा। परियोजना से लगभग 90 हजार कृषक लाभांवित होंगे। परियोजना निर्माण में उच्च स्तरीय तकनीक स्काडा और ओएमएस का उपयोग किया गया है।

परियोजना के मुख्य बिंदु

परियोजना की की लागत 2489.65 करोड़ है। परियोजना का कुल कमाण्ड क्षेत्र 30 हजार 218 हेक्टेयर है। परियोजना अंतर्गत ओंकारेश्वर जलाशय से (जिला खंडवा के ग्राम बड़ेल के समीप) 03 मीटर व्यास की पाईप लाईन से 15 घन मीटर प्रति सेकण्ड की दर से 435 मीटर की ऊंचाई तक जल उद्वहन किया जायेगा। परियोजना की मुख्य पाईप लाईन की कुल लंबाई 200 किलोमीटर है। जल उद्वहन के लिये 06 पंपिंग स्टेशन में कुल 50 पंप मोटर्स सेट्स की स्थापना की गई है। जल उद्वहन करने में कुल 89 मेगावाट बिजली की आवश्यकता होगी। परियोजना में वितरण प्रणाली के लिए 2.5 हेक्टेयर चक तक कुल 2254 किलोमीटर (03 मीटर व्यास से 63 मिलीमीटर व्यास तक) पाईप लाईन बिछाई गई है। परियोजना में प्रति 20 हेक्टेयर पर एक ओ.एम.एस. बाक्स अर्थात कुल 1539 बाक्स स्थापित किये गये हैं। परियोजना का संपूर्ण संचालन स्काडा के माध्यम से किया जाकर 2.5 हेक्टेयर चक तक 20 मीटर दबाव से जल उपलब्ध कराया जायेगा। प्रधानमंत्री जी के ‘पर ड्राप मोर क्राप’ आव्हान अनुरूप दाबयुक्त जल उपलब्ध होने पर कृषक स्प्रिकंलर एवं ड्रिप के माध्यम से कम जल से अधिक सिंचाई का लाभ ले सकेंगे। इस पद्धति से सिंचाई मिलने पर कृषकों को खेत समतल करने की आवश्यकता नहीं होगी एवं कम पानी में अधिक उपयोगी सिंचाई का लाभ एवं उत्पादन मिलेगा।

परियोजना से उज्जैन जिले की तराना तहसील के 77, घटिया तहसील के 6 एवं शाजापुर जिले के 17 इस प्रकार कुल 100 गांवों के 30 हजार 218 हेक्टेयर क्षेत्र कमाण्ड एरिया में सिंचाई जल उपलब्धता सुनिश्चित की जायेगी। इसी तरह पेयजल के लिए उज्जैन जिले के तराना, झांगड़ा, घट्टिया एवं गुराड़िया गुर्जर के लिए 21.60 एमएलडी प्रति तथा शाजापुर जिले के मक्सी एवं शाजापुर के लिए 43.20 एमएलडी प्रति की दर से तथा उद्योग के लिए उज्जैन एवं नागदा को 129.60 एमएलडी प्रति की दर से पानी की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है।

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