- महाकाल वन में खेली गई अनूठी होली,
- भक्तों ने शिव-पार्वती, भूत पिशाच, नन्दी का रूप धारण किया,
- अबीर गुलाल से खेली गई होली,
- अनूठी होली में महाकाल के पुजारी, भक्त और महाकाल शयन आरती के श्रद्धालु हुए शामिल,
- भांग घोटी गई और चौसर खेली गई,
Ujjain | भोले की नगरी में होली का पर्व अनूठे अंदाज में मनाया जाता है। यहां शिप्रा नदी के किनारे महाकाल वन में भक्त शिव की भक्ति में लीन होकर झूमते गाते है। भगवान शिव पार्वती और उनके गण अर्थात भूत पिशाच इस होली में शामिल होते है और उनके साथ भक्त भक्ति के रंग में रंगकर शिवमय हो जाते है। यहां अबीर गुलाल के साथ फूलों की होली खेली जाती है।
धर्म नगरी उज्जैन में शिव अर्थात महाकाल और पार्वती अर्थात शक्तिपीठ माता हरसिद्धि दोनो का साक्षात वास है इसीलिए यहां होली उत्सव शिव पार्वती साथ मनाते है।
गुरुवार को पूर्णिमा तिथि पर महाकालेश्वर मंदिर और माता हरसिद्धि मन्दिर के पास शिप्रा नदी के तट पर स्थित महाकाल वन में होली उत्सव का आयोजन किया गया। आयोजन में शिव और पार्वती प्रतीकात्मक रूप में शामिल हुए । मानो ऐसा लग रहा था कि साक्षात भोलेनाथ अपनी अर्धांगिनी के साथ आ गए है। जब यहाँ शिव पार्वती स्वयं नाचने लगे तो भक्त भी अपने आप को रोक नही पाए और झूमते गाते नजर आए। होली उत्सव मनाने के लिए शिव के गण अर्थात भूत पिशाच और नंदी भी यहां शामिल हुए वे अद्भुत अंदाज में सजे हुए थे। मानो साक्षात शिव की सेना आ गई हो। जुलुश के रूप में भक्त व शिव के गण नाचते गाते हुए आयोजन स्थल तक पहुंचते है।
होली का यह अनूठा अंदाज केवल शिव नगरी उज्जैन में ही देखने को मिलता है। इस दौरान महिला भक्तों ने शिव पार्वती के साथ बैठकर भजन गए और एक दूसरे को अबीर गुलाल लगाया। खास बात यह है कि यह आयोजन महाकाल मंदिर शयन आरती भक्ति मंडल द्वारा किया जाता है। इस आयोजन में महाकाल मंदिर के पुजारी, भक्त और आम जन शामिल होते है। इस आयोजन में एक और भक्त चौसर खेलते नजर आए तो वहीं दूसरी और भांग भी घोटी जा रही थी