उज्जैन / जोतिष अमर डब्बावाला | पंचांग की गणना के अनुसार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या इस बार दर्श अमावस्या की श्रेणी में है और यह अमावस्या शनिवार के दिन होने से शनिश्चरी अमावस्या कहलाती है मुख्यतः यह है कि ग्रह गोचर एवं ग्रहों के परिभ्रमण के आधार पर देखें तो ग्रहों की युतियां अलग-अलग प्रकार के संकेत दे रही है। शनिश्चरी अमावस्या के साथ-साथ भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष के अमावस्या को पिठोरा या कुशग्रहणी अमावस्या भी कहा जाता है इस दिन कुश का या पवित्रा का संग्रहण विशेष तौर पर किया जाता है उसके पीछे मान्यता यह है कि कुश ग्रहण से अर्थात वैदिक पद्धति के माध्यम से जब पवित्री को ग्रहण करते हैं तो माता लक्ष्मी की कृपा होती है वहीं शनिवार के दिन अमावस्या के होने से शनि महाराज की प्रसन्नता के लिए अलग-अलग प्रकार से उपाय किये जा सकते हैं जो जातक शनि महाराज की साढेसाती से या शनि की ढैया, महादशा, अंतर्दशा प्रत्यंतर दशा से गुजर रहे हैं उन्हें वैदिक या पौराणिक उपाय से अनुकूलता की प्राप्ति होगी बाधाऔ का निराकरण होगा। भारतीय ज्योतिष शास्त्र की मान्यता के अनुसार देखे तो परिघ योग में आने वाली यह अमावस्या प्रातः 9:00 बजे बाद धार्मिक क्रियाओं के लिए विशेष फलदायी मानी जाती है।
सूर्य चंद्र केतु की युति पितरों की पूजा के लिए श्रेष्ठ
अमावस्या पर बहुत कम ऐसे योग बनते हैं जब सूर्य चंद्र केतु की युति एक साथ सिंह राशि में हो, निर्णय सिंधु या धर्मशास्त्रीय मान्यता या मत्स्य पुराण की मान्यता को देखें तो पितरों के लिए यह स्थिति श्रेष्ठ मानी जाती है अर्थात जब सूर्य चंद्र केतु एक ही राशि में गोचर हो उस दिन पितृ की पूजा करनी चाहिए इस दिन तर्पण पिंडदान करने से पितरों को अनुकूलता प्राप्त होती है जन्म कुंडली के पितृ दोष का निराकरण इस दिन किया जा सकता है।
शनि महाराज की प्रसन्नता के लिए करें अलग-अलग अनुष्ठान
वर्तमान में शनि मीन राशि में ही रहकर के वक्री चल रहे हैं और वक्र दृष्टि से अलग-अलग प्रकार की दृष्टियां अलग-अलग राशियों पर अवस्थित है इस दृष्टि से मकर कन्या मिथुन इन राशि वाले जातकों को स्वास्थ्य संबंधित सावधानी रखने की आवश्यकता है और जिनको शनि की साढेसाती या ढैया चल रही है या महादशा अंतर्दशा प्रत्यंतर दशा चल रही है उन्हें संभल कर चलने की आवश्यकता है। सुरक्षा और सफलता के लिए शनि स्तोत्र का पाठ शनि कवच का पाठ या शनि मंदिर पर तिल के तेल से अभिषेक करने पर एवं शनि महाराज की वस्तुओं का दान करने पर अनुकूलता एवं सफलता की प्राप्ति होगी।
शनिश्चरी अमावस्या पर विभिन्न राशि के जातक यह दान करें
- मेष:- सूती वस्त्र का दान करें
- वृषभ:- सफेद खाद्य वस्तु का दान
- मिथुन:- खड़े धान का दान
- कर्क:- नदी पर या शिवलिंग पर गाय का दूध अर्पित करें
- सिंह:- पीपल के वृक्ष का सिंचन करें
- कन्या:- हरा मूंग किसी संन्यासी को देवे
- तुला:- काली तिल्ली का दान ब्राह्मण को करें
- वृश्चिक:- कनिष्ठ वर्ग को वस्त्र आभूषण या कोई गिफ्ट देव
- धनु:- काली गाय को हरी घास खिलावे
- मकर:- शनि महाराज की उपासना करें
- कुंभ:- विद्यार्थी को पुस्तकें दान कर दें
- मीन:- बीमार व्यक्ति की सहायता मेडिसिन या फल फ्रूट लाकर के करें