उज्जैन में विक्रम उत्सव के तहत वाद्ययंत्र प्रदर्शनी: 600 से अधिक दुर्लभ वाद्ययंत्र प्रदर्शित
सेंट्रल वॉइस,उज्जैन। विक्रम उत्सव 2025 के तहत कालिदास अकादमी में एक भव्य वाद्ययंत्र प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है, जिसमें देश-विदेश के 600 से अधिक दुर्लभ वाद्ययंत्र प्रदर्शित किए गए हैं। यह प्रदर्शनी 4 मार्च से 30 मार्च तक चलेगी, जिसमें संगीत प्रेमियों को ऐतिहासिक और दुर्लभ वाद्ययंत्रों को देखने का अनूठा अवसर मिलेगा।
दुर्लभ वाद्ययंत्रों का अद्भुत संगम
प्रदर्शनी में ऐसे वाद्ययंत्र शामिल हैं, जो आज आमतौर पर देखने को नहीं मिलते। इनमें राजा-महाराजाओं के दरबार में बजने वाले शाही वाद्ययंत्र भी शामिल हैं, जिनकी मधुर धुनें अब दुर्लभ हो चुकी हैं। त्रिवेणी संग्रहालय उज्जैन द्वारा आयोजित इस प्रदर्शनी में तार वाद्य, फूंक वाद्य और ताल वाद्य जैसे विभिन्न प्रकार के संगीत यंत्र प्रदर्शित किए गए हैं।
6 देशों और विभिन्न राज्यों के वाद्ययंत्र
इस प्रदर्शनी में भारत के अलग-अलग राज्यों के साथ-साथ छह देशों के वाद्ययंत्र भी देखने को मिल रहे हैं। यहां संगीत प्रेमी बीन, सरोद, संतूर, रुद्र वीणा, पखावज, शहनाई, तबला और अन्य दुर्लभ वाद्ययंत्रों का अवलोकन कर सकते हैं। नागों को नचाने वाली बीन भी प्रदर्शनी में लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।
संगीत की ऐतिहासिक विरासत को सहेजने की पहल
इस प्रदर्शनी का उद्देश्य पुराने वाद्ययंत्रों को संरक्षित कर नई पीढ़ी को संगीत की समृद्ध विरासत से परिचित कराना है। प्रदर्शनी में आने वाले दर्शक इन यंत्रों को न सिर्फ देख सकेंगे, बल्कि उनके निर्माण, ध्वनि और संगीत में उनके उपयोग के बारे में भी जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।
संगीत प्रेमियों के लिए अनूठा अनुभव
कालिदास अकादमी में चल रही यह प्रदर्शनी संगीत प्रेमियों के लिए एक अनूठा अनुभव है, जहां वे विभिन्न युगों के दुर्लभ वाद्ययंत्रों की झलक देख सकते हैं और संगीत की समृद्ध परंपरा से रूबरू हो सकते हैं।