अमर डब्बावाला ज्योतिषाचार्य /उज्जैन । भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी पर पार्थिव गणेश की स्थापना का अनुक्रम माना जाता है। इस बार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी 27 अगस्त को बुधवार के दिन चित्रा नक्षत्र में आ रही है, शुभ योग एवं विष्टि करण का साक्षी अनुक्रम रहेगा। कन्या उपरांत तुला राशि के चंद्रमा का भी सकारात्मक प्रभाव रहेगा। हालांकि इस दिन चंद्र दर्शन निषेध होता है। इसलिए आकाश की तरफ देखने से बचना चाहिए, वह इसलिए की ऐसी मान्यता है कि इस दिन चंद्र दर्शन करने से आरोप-प्रत्यारोप लगते हैं, इस दृष्टि से चंद्रमा का दर्शन नहीं करना चाहिए। 10 दिवसीय पर्व काल पर भगवान गणेश के अलग-अलग स्वरूपों का दर्शन एवं उनके मंत्रों का उच्चारण या यथाविधि स्तोत्र पाठ के माध्यम से गणपति की कृपा प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए। विघ्न और संकटों को हरने वाले गणेश की साधना करने से निश्चित ही विघ्न व संकट निवृत्ति होती हैं ऐसी धर्म शास्त्रीय मान्यता हैं।
धन दायक योग में करें उपासना
शास्त्रीय उपागम को दृष्टिगत करें तो इस दिन कन्या उपरांत तुला राशि का चंद्रमा रहेगा। चित्रा नक्षत्र का प्रभाव लागू रहेगा। तुला राशि के चंद्रमा में भद्रा का निवास पाताल लोक में रहता है और ऐसी मान्यता है कि पाताल लोक निवासिनी भद्रा धन को देने वाली मानी जाती है इसलिए धन की प्राप्ति के लिए भी गणेश की विशेष साधना लाभकारी रहती है।
10 दिन में 10 स्वरूपों की करें साधना
धर्म शास्त्रीय मान्यता के अनुसार देखे तो पार्थिव गणेश स्थापना के 10 दिन पर्यंत श्री गणेश के अलग-अलग नाम से उनके स्वरूपों का चिंतन करते हुए भिन्न-भिन्न प्रकार के मंत्र व पाठ के माध्यम से उनकी प्रसन्नता के उपचार करने चाहिए।
चतुर्थी से लेकर के चतुर्दशी पर्यंत अर्थात 10 दिन पार्थिव गणेश को प्राण प्रतिष्ठित करके षोडशोपचार पूजन करते हुए एक-एक मोदक का नैवेद्य अर्पण करना है। 21 दूर्वा हाथ में लेकर 10 नाम का उच्चारण करते हुए श्रद्धा प्रस्तुत करें।
- पहले दिन- गणाधिप
- दूसरे दिन- उमा पुत्र
- तीसरे दिन-अघनाशन
- चौथे दिन- विनायक
- पांचवें दिन- ईश पुत्र
- छठे दिन- सर्वसिद्धि प्रदायक
- सातवें दिन- एकदंत
- आठवें दिन- इभवक्र
- नवें दिन- मूषक वाहन
- 10 वें दिन- कुमार गुरु
इनका तिथि व दिन अनुसार इन 10 दिनों में क्रमानुसार पूजन करते हुए अपनी श्रद्धा को प्रकट करना चाहिए और व्रत सहित मोदक का नैवेद्य लगाकर ब्राह्मण को देकर स्वयं को लेना चाहिए। यह करने से गणपति जी की कृपा होती है विघ्न व दोष की निवृत्ति होती है संकट टल जाते हैं।
जिन कन्याओं के विवाह में बाधा आ रही है वह हरिद्रा गणेश की स्थापना करके करें अनुष्ठान
बाधाओ की निवृत्ति व संकटों तथा विघ्नों के नाश के लिए गणपति जी की साधना की जाती है वहीं हरिद्रा गणेश की स्थापना विशेष रूप से कन्याओं के विवाह में जो बाधाऐं आ रही है उनकी निवृत्ति के लिए ब्रह्म मुहूर्त में श्री गणेश की हरिद्रा की प्रतिमा बनाकर 10 दिवस पर्यंत विघ्न नाशक गणेश स्तोत्र या गणपति स्तोत्र के पाठ के माध्यम से संकल्प विशेष का ध्यान रखते हुए पंचोपचार व षौडशोपचार पूजन करें यह करने से भी विवाह में आ रही बाधाओ का निराकरण होता है।