शिप्रा तट से उठी आस्था की अलख — शतचंडी महारुद्र महायज्ञ से पूर्व भव्य कलश यात्रा निकाली गई
उज्जैन | आज आस्था और अध्यात्म का अद्भुत संगम देखने को मिला। पंच दशनाम जूना अखाड़ा द्वारा आयोजित शतचंडी महारुद्र महायज्ञ से पूर्व, मोक्षदायिनी मां शिप्रा के तट से एक भव्य कलश यात्रा का आयोजन किया गया। शिप्रा के पावन जल से भरे कलश को वैदिक मंत्रोच्चार और साधु-संतों की अगुवाई में महायज्ञ स्थल — दातार आश्रम, नृसिंह घाट मार्ग तक श्रद्धा और भक्ति के साथ ले जाया गया।
इस अवसर पर श्री महंत हरि गिरि जी महाराज मुख्य संरक्षक के रूप में उपस्थित रहे। साथ ही जूना अखाड़ा के वरिष्ठ सभापति श्री महंत प्रेमगिरी जी महाराज, सभापति श्री महंत मोहन भारती जी, जगतगुरु वीर भद्रानंद गिरी महाराज (गुजरात), अंतर्राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री महंत नारायण गिरी जी महाराज, श्री महंत रामेश्वर गिरी, श्री महंत आनंदपुरी महाराज, और श्री महंत शैलेंद्र गिरी जी जैसे अनेक प्रतिष्ठित संत-महात्माओं की दिव्य उपस्थिति रही।
क्या है विशेषता इस आयोजन की?
आगामी सिंहस्थ महापर्व 2028 के निर्विघ्न संपन्न होने और अखिल विश्व में शांति, सुख व समृद्धि की कामना के साथ यह 11 दिवसीय, 5 कुंडीय हवनात्मक शतचंडी महारुद्र महायज्ञ प्रारंभ किया जा रहा है।
कलश पूजन सहित अन्य वैदिक विधान का आचार्यत्व कानपुर से पधारे आचार्य प्रमोद तिवारी जी द्वारा सम्पन्न कराया गया।
धार्मिक चेतना से ओत-प्रोत यह आयोजन केवल एक यज्ञ नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और सनातन परंपरा की जड़ें मजबूत करने का एक विराट संकल्प है। उज्जैन की धरती एक बार फिर धर्म, अध्यात्म और संस्कारों की ज्योति से आलोकित हो उठी है।