- होली पर्व पर महाकाल मन्दिर में हुई विशेष भस्मारती,
- गर्भगृह में पंडे पुजारियों ने बाबा महाकाल के साथ खेली होली,
- पूर्व के वर्ष में हुए अग्निकाण्ड के कारण भक्तों के होली खेलने पर रहा प्रतिबंध,
Ujjian | दुनिया भर में मनाए जाने वाले होली के त्यौहार की शुरुआत धार्मिक नगरी उज्जैन से हो गई है। यहाँ सबसे पहले होली के त्यौहार की शुरुआत विश्वप्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर से हुई। बाबा महाकाल के दरबार में होली का उत्सव मनाया गया। यहाँ सुबह चार बजे भस्मारती में पण्डे पुजारियों ने महाकाल के साथ होली खेली। हजारो की संख्या में भक्तो ने भक्ति में लीन होकर होली मनाई। यहां बाबा का दरबार रंगों से सराबोर नजर आया। पिछले साल होली पर्व पर हुए अग्निकाण्ड के कारण इस बार भक्तों के होली खेलने पर प्रतिबन्ध रहा।
दरअसल रंगो के त्यौहार होली की शुरुआत सबसे पहले बाबा महाकाल के दरबार से हो गई है। सुबह चार बजे भस्मारती में देश भर से आए भक्तो ने यहाँ होली पर्व का आनंद लिया । यहाँ परंपरा अनुसार भस्मारती में बाबा महाकाल को रंग लगाया गया। श्रद्धालु और पण्डे पुजारियों ने आरती के दौरान बाबा की भक्ति में लीन होकर होली पर्व मनाया । देश के कोने कोने से कई भक्त उज्जैन में मनाई जाने वाली इस होली को देखने के लिए आते है। इस वर्ष आरती के समय बाबा के भक्तो पर भी होली का रंग नही दिखा। इसका मुख्य कारण यह था पिछले वर्ष होली पर्व पर ही महाकाल के गर्भगृह में गुलाल के कारण आग लग गई थी जिसमे पुजारी, पुरोहित और कर्मचारी झुलस गए थे और एक सेवक की मौत हो गई थी। यहां भक्तों के अबीर गुलाल लगाने पर भी प्रतिबंध रहा। हालांकि महाकाल मंदिर में भस्मारती में होली का पर्व मानाने की परंपरा सनातन काल से चली आ रही। यहाँ सबसे पहले बाबा महाकाल के आँगन में होली उत्सव की शुरुआत होती है और उसके बाद देश भर में होली मनाई जाती है।