सामवेदी ब्राह्मणों ने किया उपाकर्म
उज्जैन : धर्म शास्त्रीय मान्यता के अनुसार सामवेदी ब्राह्मणों ने हस्त नक्षत्र की साक्षी में उपाकर्म किया। पौराणिक और धर्म शास्त्रीय मान्यता है कि चार वेदों के अलग-अलग ब्राह्मणों का अलग-अलग समय पर उपाकर्म होता है। सामवेदी ब्राह्मणों का उपाकर्म भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष के हस्त नक्षत्र की साक्षी में संपादित होता है। उपाकर्म के अंतर्गत हेमाद्री स्नान, दश विधि स्नान, पंचगव्य प्राशन एवं आंधी झाडे से स्नान उसके बाद तीर्थ स्नान, देव, ऋषि, पितृ, दिव्य मनुष्य तर्पण विधान गणपति पूजन, माता अरुंधति पूजन, सप्त ऋषि पूजन, गोभिलाचार्य पूजन, प्रवर पूजन सहित नूतन यज्ञोपवित धारण किया।
सामवेदी ऋचाओं से किया ऋषियों का पूजन
समृद्धि पूजन में सामवेद की ऋचाओं से पूजन पद्धति को संपादित किया साम गान का भी अनुक्रम रहा कोथुमी शाखा के नागर शैली में भी पूजन की गई।
बड़ी संख्या में सामवेदी ब्राह्मण उपस्थित थे
पंडित संजय त्रिवेदी ने बताया उपाकर्म उपाचार्य पं गोपाल व्यास के सानिध्य में वैदिक विधि संपादित की गई इस दौरान पंडित अमर डब्बावाला, पंडित रामबाबू त्रिवेदी, पंडित मोहन डंडा वाला, पंडित महाकाल पाठक, पंडित सुमित त्रिवेदी, पंडित गौरव, पंडित दुष्यंत, पंडित अनुश , पंडित अमृतेश, पंडित उत्सव, पंडित आयुष, पंडित रितेश, पं सक्षम सहित बड़ी संख्या में सामवेदी ब्राह्मण उपस्थित थे।