Chandra Grahan 2025 : दशकों बाद चंद्र ग्रहण की साक्षी में होगा महालय श्राद्ध का आरंभ

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अमर डब्बावाला ज्योतिषाचार्य / उज्जैन। भारतीय ज्योतिष और पंचांग गणना के अनुसार इस वर्ष महालय श्राद्ध का आरंभ 7 सितंबर, रविवार को कुंभ राशि के चंद्रमा, शततारका नक्षत्र और सुकर्मा योग में होगा। यह संयोजन श्राद्ध को सौ गुना शुभ फलदायक बनाता है।

इसी दिन रात्रि में खग्रास चंद्रग्रहण लगेगा, जिसका सूतक दोपहर 12:58 बजे प्रारंभ हो जाएगा। इसलिए पूर्णिमा का श्राद्ध इसी समय सीमा तक करना शास्त्रसम्मत होगा। इस कालखंड में पितरों के निमित्त जलदान और पिंडदान विशेष फलदायी माने गए हैं। उज्जैन के सिद्धवट, रामघाट और गया कोठा क्षेत्र में इसका विशेष महत्व रहेगा।

बुध-आदित्य योग का संयोग

ग्रह गोचर में सूर्य, बुध और केतु की युति सिंह राशि में बन रही है। सूर्य के साथ केतु का यह संयोग पितृदोष निवारण और पितरों की शांति के लिए अत्यंत प्रभावी माना जाता है।

गुरु पुष्य का भी योग

श्राद्ध पक्ष में 18 सितंबर, गुरुवार को पुष्य नक्षत्र का शुभ योग रहेगा, जो पूरे दिन मान्य होगा। इसी दिन सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग भी बन रहे हैं। इन योगों में किया गया श्राद्ध पितरों को मोक्ष का मार्ग और साधक को सभी कार्यों में सफलता प्रदान करता है।

15 दिन का पर्व, एक तिथि का क्षय

इस बार महालय श्राद्ध पर्व 15 दिनों तक चलेगा। पंचांग मतभेद के कारण सप्तमी अथवा नवमी तिथि के क्षय का उल्लेख मिलता है। शास्त्र सम्मत निर्देश है कि मध्यकाल अथवा कुतुपकाल में जो तिथि मान्य हो, उसी के अनुसार श्राद्ध करना उचित होगा।

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By centralvoicenews Official of Central News (Regional News Chanel M.P. )
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