जिले में नरवाई जलाना प्रतिबंधित, किसानों से अपील: जैविक खाद बनाएं, पर्यावरण बचाएं
सेंट्रल वॉइस न्यूज़ , उज्जैन। जिले के किसानों को गेहूं और अन्य फसलों की कटाई के बाद खेत में बचे फसल अवशेष (नरवाई) जलाने से बचने की अपील की गई है। प्रशासन ने चेतावनी दी है कि नरवाई जलाने पर मध्य प्रदेश शासन के 15 मई 2017 के नोटिफिकेशन के अनुसार दंड का प्रावधान किया गया है।
🔹 दंड का प्रावधान:
- 02 एकड़ से कम भूमि वाले किसानों पर ₹2,500 प्रति घटना पर्यावरण क्षतिपूर्ति का जुर्माना।
- 02 से 05 एकड़ भूमि वाले किसानों पर ₹5,000 प्रति घटना जुर्माना।
- 05 एकड़ से अधिक भूमि पर ₹15,000 प्रति घटना जुर्माना लगाया जाएगा।
- नरवाई जलाने पर प्रशासन पुलिस प्रकरण भी दर्ज करेगा।
🔹 नरवाई जलाने से होने वाले नुकसान:
- भूमि की उर्वरता शक्ति समाप्त हो जाती है।
- सूक्ष्म जीव और केचुए जलकर नष्ट हो जाते हैं, जिससे जैविक खाद का निर्माण बंद हो जाता है।
- भूमि की जल धारण क्षमता घटने से फसलें सूखने लगती हैं।
- खेत की सीमा पर लगे वृक्ष-पौधे और फलों के पौधे जलकर नष्ट हो जाते हैं।
- पर्यावरण प्रदूषित होता है और वातावरण का तापमान बढ़ जाता है, जिससे धरती गर्म होती है।
- कार्बन, नाइट्रोजन और फॉस्फोरस का अनुपात घटने से मिट्टी की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
🔹 जैविक खाद के माध्यम से समाधान:
प्रशासन ने किसानों को नरवाई जलाने के बजाय फसल अवशेषों का जैविक खाद बनाने में उपयोग करने की सलाह दी है:
- अवशेषों को एकत्र कर भू-नाडेप या वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाएं, जिससे भूमि में पोषक तत्व बढ़ेंगे।
- कल्टीवेटर, रोटावेटर या डिस्क हेरो की सहायता से अवशेषों को खेत में मिलाएं, ताकि जैविक खाद की बचत हो।
- सामान्य हार्वेस्टर की जगह स्ट्रारीपर और हार्वेस्टर का उपयोग करें, जिससे भूसे की मात्रा बढ़ेगी और भूमि को बहुमूल्य पोषक तत्व मिलेंगे।
🔹 प्रशासन की सख्ती:
कलेक्टर ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि जिले में नरवाई जलाने की घटना पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। किसानों से अपील है कि वे पर्यावरण संरक्षण और भूमि की उर्वरता बनाए रखने के लिए फसल अवशेष जलाने से बचें।