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विक्रम विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय संगोष्ठी
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स्वास्थ्य अधिकार से पहले समझें स्वास्थ्य कर्तव्य
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मिलेट्स अपनाएं, रोग दूर भगाएं
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स्वास्थ्य नीति पर विशेषज्ञों की चर्चा
उज्जैन | विक्रम विश्वविद्यालय में “स्वास्थ्य नीति एवं स्वास्थ्य प्रशासन” विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी में विशेषज्ञों और प्रशासनिक अधिकारियों ने विचार साझा करते हुए इस बात पर जोर दिया कि हर नागरिक को स्वास्थ्य संबंधी अधिकारों से पहले अपने स्वास्थ्य के प्रति कर्तव्य का बोध होना चाहिए।
विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के राजनीति विज्ञान एवं लोक प्रशासन अध्ययनशाला, IQAC प्रकोष्ठ एवं जिला खाद्य एवं औषधि प्रशासन के संयुक्त तत्वावधान में, भारतीय लोक प्रशासन संस्थान नई दिल्ली की क्षेत्रीय शाखा के सहयोग से यह राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गई।
कार्यक्रम का उद्देश्य था – भारत की स्वास्थ्य नीति के क्रियान्वयन में स्वास्थ्य प्रशासन की भूमिका पर चर्चा करना और नई शिक्षा नीति 2020 के संदर्भ में शैक्षणिक जगत को स्वास्थ्य प्रशासन के विविध पहलुओं से जोड़ना।
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संगोष्ठी में डॉ. लतिका व्यास, राजीव पाहवा, डॉ. सखा पाहवा, डॉ. मधुसूदन देशपांडे समेत कई शोधार्थियों ने शोधपरक प्रस्तुतियाँ दीं।
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FSSAI की भूमिका और फोर्टीफाइड खाद्य पदार्थों की उपयोगिता पर प्रकाश डाला गया।
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जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी श्री बसंत दत्त शर्मा ने असंक्रामक रोगों की रोकथाम हेतु चल रहे कार्यक्रमों की जानकारी दी।
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विशेषज्ञों ने मिलेट्स, वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों, और पांच कोशीय स्वास्थ्य मॉडल को अपनाने की बात कही।
उल्लेखनीय उपस्थिति:
संगोष्ठी में पूर्व मुख्य सचिव के के सेठी, पूर्व डीजीपी अरुण गुर्टू, जे पी दुबे, जी जी पांडे, प्रो. नीता देशपांडे, प्रो. उमा शर्मा, और डॉ. नलिन सिंह पंवार सहित कई प्रतिष्ठित अतिथियों ने भाग लिया। संगोष्ठी का सफल संचालन डॉ. मेद्या पाण्डेय द्वारा किया गया।