नन्द घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की के जयघोष के साथ हुआ कृष्ण जन्मोत्सव  श्रीमद्भागवत कथा के चतुर्थ दिवस गोकुल

नन्द घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की के जयघोष के साथ हुआ कृष्ण जन्मोत्सव  श्रीमद्भागवत कथा के चतुर्थ दिवस गोकुल

नन्द घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की के जयघोष के साथ हुआ कृष्ण जन्मोत्सव 
श्रीमद्भागवत कथा के चतुर्थ दिवस गोकुल, वृन्दावन और जनकपुरी बना कथा पांडाल

उन्हेल I श्रीमद्भागवत कथा समिति द्वारा सुप्रसिद्ध कथा वाचक वृन्दावनवासी पूज्य देवी कृष्णप्रिया जी महाराज के मुखारबिंद से स्थानीय नया बसस्टेंड स्थित मैदान में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के चतुर्थ दिवस का विशेष आकर्षण प्रभु श्रीकृष्ण जन्मोत्सव रहा पीले वस्त्र धारण कर हजारो की संख्या में कथा पांडाल में कथा का रसपान करने धर्मप्रेमी जनमानस के साथ छोटे छोटे बच्चे कान्हा और राधा का रूप धारण कर माहोल वृन्दावन जैसा बना दिया बड़ी धूमधाम से आनंदित होकर श्री कृष्ण जन्मोत्सव का आनंद लिया l चतुर्थ दिवस की कथा के वाचन में भागवत कथा की शुरुआत भागवत आरती और विश्व शांति के लिए प्रार्थना के साथ की गई। उन्होंने बताया कि - " जब हम भगवान का गुणगान सुनते हैं, उनके विषय मे जानते हैं तथा उनकी सेवा करते हैं तो हमे उनसे प्रेम होने लगता है और समय के साथ ये प्रेम प्रगाढ़ होता जाता है। जैसे आप अन्य कामों को प्राथमिकता देते हैं वैसे ही प्रभु की भक्ति का भी नियम बनाएं जैसे 5 माला करना है, हनुमान चालीसा का पाठ करना है, सूर्य देव को जल देना है इत्यादि। भगवान को नियम अत्यधिक प्रिय है। किसी भी  परिस्थिति में ईश्वर को याद करें और सदैव शिकायत की बजाय जो प्राप्त है उनसे लिए उनका आभार व्यक्त करें। ये सत्य है कि ईश्वर से ही मांगना चाहिए क्योंकि वही हमें सबकुछ दे सकते हैं लेकिन सदैव उनसे माँगने नहीं कभी कभी उनसे मिलने भी जाएं।"


श्रीमद भागवत इस संसार में किसी भी बड़े से बड़े पाप का नाश करने में सक्षम है। इस संसार में ऐसा कोई पाप नहीं बना जिसका नाश जिसका वध श्रीमद भागवत न कर सकी हो शर्त उतनी है उस पाप की पुनरावृत्ति न हो। जितने भी युवा जीवन में सफलता चाहते हैं तो आप सभी को अपने सनातन धर्म का आदर करना आना चाहिए। हम और आप सभी धर्म का आदर करेंगे तभी हमारे आने वाले बच्चे हमारी परम्पराओं से अवगत होंगे और वो इस परम्परा पर चल सकेंगे। श्रीमद भागवत कथा का श्रवण करना चाहिए तो उसका कल्याण निश्चित है। श्रीमद भागवत में 18000 श्लोक, 12 स्कन्द और 335 अध्याय है जो जीव सात दिन में सम्पूर्ण भागवत का श्रवण करेगा वो अवश्य ही मनोवांछित फल की प्राप्ति करता है l आगे की कथा का वाचन करते हुए दीदीजी ने भगवान के अवतारों की लीला का श्रवण पान कराया जिसमें राम जी का अवतरण, भरत जी की कथा व आगे श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का वृतांत सुनाया।भक्त और परमात्मा के बीच केवल अभिमान का पर्दा है। हर मुसीबत के पूर्व परमात्मा आपको सावधान करते है, सूचित अवश्य करते हैं लेकिन आपका अभिमान सुनता कहा है। अपने अहम को त्यागने का प्रयास करो और अपनी भक्ति में लीन हो जाओ परमात्मा स्वयं आप को दर्शन देंगे। साथ ही अद्भुत झांकियों के माध्यम से श्रद्धालुओं ने भगवान के दर्शन का पूण्य लाभ प्राप्त किया ।


दीदीजी ने बताया कि स्वर्ग और नरक कहीं अन्य नहीं है बल्कि ये हमारे भीतर विद्यमान हैं। हम जब चाहे जीवन को स्वर्ग और नर्क बना सकते हैं केवल विचारों के परिवर्तन द्वारा। आपके पास जो हैं उसमें प्रसन्न रहना सीखें और किसी से द्वेष , ईर्ष्या इत्यादि न करें जिससे आप प्रसन्न रहेंगे। आज का मानव अपने दुःख से नहीं अपितु दूसरों के सुख से दुःखी है। ये सब छोड़कर भगवान में मन को लगाएं और अपने जीवन को उद्देश्य को समझने का प्रयास करें।जो भगवान को प्रिय हो वही करो, हमेशा भगवान से मिलने का उद्देश्य बना लो, जो प्रभु का मार्ग हो उसे अपना लो, इस संसार में जन्म-मरण से मुक्ति भगवान की कथा ही दिला सकती है। भगवान की कथा विचार, वैराग्य, ज्ञान और हरि से मिलने का मार्ग बता देती है ।

दीदी जी का सक्षिप्त परिचय बचपन से ही भगवत भक्ति के प्रचार प्रसार में लीन परमपूज्या कृष्णप्रिया जी का जन्म 26 जनवरी 1997 को वृन्दावन धाम में हुआ था। 4 वर्ष की आयु मे ही गुरु का सान्न्ध्यि प्राप्त हो गया जिससे भगवान के प्रति अधिक प्रेम व जानने के इच्छा जागृत हुई और माता जी के कृपा से निरन्तर भक्ति में आगे बढ़ते गए। देश विदेश मे भगवत नाम प्रचार के साथ साथ गौसेवा से भी जुड़ी हुईं हैं। वर्तमान में दीदीजी चैन बिहारी गौशाला का संचालन कर रहीं हैं जिसमें 400 से अधिक बूढ़ी व बीमार गौमाता की चिकित्सा व रखरखाव होता हैं। साथ ही 1000 गौवंशो के निवास हेतु गौशाला कार्य प्रगति पर है । 

श्रीमद भागवत कथा में रविवार को श्री राम कथा का समायोजन करते हुवे बताया की प्रभु श्री राम और प्रभु श्री कृष्ण में सबकुछ समान है सिर्फ एक ही अंतर है वह है नयन का एक के नयन गंभीर है और दुसरे के नयन चंचल है चपल है एक में मर्यादा है तो दुसरे में चंचलता है, श्रीमद भागवत कथा का श्रवण हमेशा करना चाहिए इसके एक एक शब्द की रचना ठाकुरजी ने ही की है, जिस प्रकार बचपन में चित्र देखकर हम पहचानकर अक्षर पढ़ना सीखते हैं और बाद में हैं बिना चित्र के ही अक्षर पहचान लेते हैं ठीक उसी प्रकार ईश्वर की सगुण उपासना से हम परमब्रह्म की पहचान स्वतः ही कर पाते हैं। सगुण उपासना से प्रभु के प्रति प्रेम व भाव अत्यंत प्रबल हो जाते हैं गुरु की महिमा अपरंपार है। संसार में केवल गुरु ही जो ईश्वर से आपका मिलन करा सकते हैं। इसलिए शिष्य का भाव सदैव गुरु के चरणों में होना चाहिए l कथा में रविवार को गजेन्द्र मोक्ष का प्रसंग, श्री वामन अवतार रामकथा एवं श्री कृष्ण जन्मोत्सव विशेष रहा l व्यास पीठ जी की आरती का लाभ वीरसिंह राणा, रमेश गनावा प्रदेश प्रवक्ता राजेश तिवारी, युवा मोर्चा जिलाध्यक्ष उमेश जाट, आशीष जैन, केशव रघुवंशी, विजय जायसवाल, इश्वर नंदेडा मित्र मंडल ने लिया l समिति द्वारा कृष्ण जन्मोत्सव में माखन मिश्री की प्रसादी का वितरण किया l सोमवार को कथा में नन्द महोत्सव, श्रीकृष्ण बाललीला, एवं गोवर्धन पूजन के साथ को 21 कन्याओं के विवाह समारोह के कार्यक्रम प्रातः 9 बजे स्थानीय कार्तिक चौक से श्री गणेश पूजन एवं माताजी पूजन, शाम को कथा पांडाल में मंडप, सांय 7 बजे मेहंदी तथा रात्री 8 बजे महिला संगीत का आयोजन होगा l

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