चेत्र नवरात्रि के आरम्भ होते ही शक्तिपीठ नगरी उज्जैन के माता मंदिरो में भक्तो का ताँता लगना शुरू

 चेत्र नवरात्रि के आरम्भ होते ही शक्तिपीठ नगरी उज्जैन के माता मंदिरो में भक्तो का ताँता लगना शुरू

उज्जैन | माता की आराधना का पर्व नवरात्रि की देश भर में धूम है।  चेत्र नवरात्रि के आरम्भ होते ही शक्तिपीठ नगरी उज्जैन के माता मंदिरो में भक्तो का ताँता लगना शुरू हो गया है।  उज्जैन में स्थित माता हरसिद्धि का मंदिर देश के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक है। यही वजह है कि नवरात्रि के मौके पर माता हरसिद्धि के दरबार में दूर -दूर से लोग दर्शन करने आ रहे हैं। माता हरसिद्धि चक्रवती सम्राट विक्रमादित्य की आराध्य देवी भी रही है और आज से विक्रम संवत की शुरुआत हुई है इसलिए भी यहाँ भक्त माता का आशीर्वाद लेने आते है। चैत्र नवरात्री में माता के दरबार में विशेष आराधना की जाती है। नवरात्री के प्रत्येक रात्रि के समय दीपमाला प्रज्वलित भी होती है। 

माता हरसिद्धि का मंदिर देश के प्रमुख शक्तिपीठों में माना जाता है। शास्त्रों मे प्रचलित कथा के अनुसार उज्जैन के इस स्थान पर सती माता की कोहनी गिरी थी जिससे चलते ये स्थान शक्ति की आराधना का बड़ा केंद्र बन गया। माता हरसिद्धि को उज्जैन के राजा सम्राट विक्रमादित्य की आराध्य देवी भी माना जाता है। करीब चार हजार साल पुराने इस मंदिर का शास्त्रों में उल्लेख मिलता है। यही वजह है कि माता के दरबार में नवरात्रि पर भक्तों का मेला लगता है। पुजारियों के मुताबिक माता हरसिद्धि का मंदिर शक्तिपीठ होने से भक्तों के लिए विशेष आस्था का केंद्र है।

माता हरसिद्धि की दिव्य प्रतिमा का नवरात्रि पर विशेष श्रंगार किया जाता है। सुबह और शाम विशेष पूजन-अर्चन किया जाता है। उसके बाद शाम सात बजे माता हरसिद्धि की भव्य आरती होती है। ढोल नगाड़ों के साथ माता के दरबार में नवरात्रि पर विशेष आरती होती। इस आरती में काफी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते है।

वैसे तो माता हरसिद्धि के दरबार में रोजाना भक्तों का मेला लगता है लेकिन नवरात्रि में इनकी संख्या खासी बढ़ जाती है। नवरात्रि में माता हरसिद्धि के दरबार में नौ दिनों तक विशेष पुजा पाठ चलते हैं। देश-विदेश से भक्त आते है और माता हरसिद्धि से सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। माता हरसिद्धि भी अपने दरबार में आने वाले भक्तों की मुरादे पूरी करती है।

मंदिर परिसर में दीपमालिकाएं भी आकर्षण का केंद्र हैं। इन दीपमालिकाओं को दो स्तभों पर बनाया गया है। जिसमें से एक शिव व एक शक्ति का प्रतीक है। नवरात्रि के समय इन दीपमालिकाओं को लगातार नो दिनों तक प्रज्वलित किया जाता है इसके अलावा भी विशेष धार्मिक पर्वो पर दीपमालिकाओं को प्रज्वलित करते है | इन दीप मालिकाओं को रौशन करवाने के लिए भक्तों द्वारा नंबर लगाया जाता है।भक्त दीपमालिकाओं के प्रज्वलन की व्यवस्था कर मनोवांछित फल प्राप्त करते हैं।