श्रीमद्भागवत कथा के तृतीय दिवस पर पांडाल में समस्त श्रवणकर्ताओं को संकल्प दिलाया अपने जन्मदिन पर केक नहीं काटेंगे केंडल नहीं बुझाएंगे अपितु दान करे,

श्रीमद्भागवत कथा के तृतीय दिवस पर पांडाल में समस्त श्रवणकर्ताओं को संकल्प दिलाया अपने जन्मदिन पर केक नहीं काटेंगे केंडल नहीं बुझाएंगे अपितु दान करे,

जीवन में इंसान का सबसे बड़ा सत्य मृत्यु है, और सबसे बड़ा आश्चर्य है की मृत्यु निश्चित है 


श्रीमद्भागवत कथा के तृतीय दिवस पर पांडाल में समस्त श्रवणकर्ताओं को संकल्प दिलाया अपने जन्मदिन पर केक नहीं काटेंगे केंडल नहीं बुझाएंगे अपितु दान करे, बड़े बुजुर्गो को नमन करे पूण्य कमाए  


उन्हेल I भक्ति और प्रभु का दिव्य नाम हमारी अंतरात्मा को शुद्ध करता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है" भगवान् के भजन करने का सही समय बुढ़ापा नहीं अपितु बाल्यकाल है, क्युकी मिटटी के बर्तन बनाने वाला मिटटी कच्ची रहती है उसी समय आक्रतिया उकेरता है और फिर उसे पकाता है क्योकि फिर कभी मिटटी के बर्तन से आकृतिया कभी नहीं मिटती,उसी प्रकार बचपन में भगवान् का भजन करोगे तो आपके बुढ़ापे में आपको मुख से श्री राम श्री कृष्ण ही निकलेगा, तारीख पर तारीख मत बदलो जीवन क्षण भंगुर है, श्वास का भरोसा नही चला गया तो आएगा नही हर एक श्वास पर श्री कृष्ण श्री राम जपो यह बात पूज्य देवीजी ने नया बसस्टेंड स्थित मैदान श्रीमद्भागवत कथा समिति द्वारा सुप्रसिद्ध कथा वाचक वृन्दावनवासी परम पूज्य कृष्णप्रिया जी महाराज के मुखारबिंद से  चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दौरान कही l दीदी जी ने बताया माता गंगा का महत्त्व कहा की गंगा जी के दर्शन मात्र से मुक्ति मिलती है, और अगर तन मन से डुबकी लगाने से भव सागर से तर जाते है साथ ही उज्जैन की महत्वता बताते हुवे कहा की काल में समय की गणना, ग्रहों को जानना, उसकी गति को पहचानना उज्जैन की पावन भूमि से ही संभव हुवा है यह बाबा की कृपा भूमि है l

जीवन में एक सनातनी का प्रथम कर्तव्य है की एक शिवालय बनाना चाहिए, आपकी आने वाली पीढ़ी के लिए आने वाले भविष्य के लिए उन्हें सनातन धर्म बताने के लिए एक मंदिर का निर्माण करना ही चाहिए l सूर्य, शिव, नारायण, दुर्गा और गणपति प्रत्येक घर में मंदिरजी में होंना चाहिए  और साथ में कथा में उन्होंने शंखचूर्ण और तुलसी की कथा का वर्णन किया और बताया कि "घर में इन पांच चीजों का होना अत्यंत आवश्यक है तुलसी, शंख, गरुण घण्टी, शालिग्राम और शिवलिंग,  जिस घर में ये 5 चीजें होतीं हैं वह घर बैकुंठ बन जाता है और ईश्वर साक्षात वास करते हैं। पूजा पाठ से सम्बंधित कई गलतियों से भी अवगत कराया जो हैं प्रतिदिन की पूजा में कर देते हैं साथ ही चार पुरुषार्थ के बारे में विस्तृत से बताया की धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चार पुरुषार्थ जिसके पास है वाही चातुरार्थ नंदन है l दीदी जी ने बताया हमारे आने वाले युवाओं को जीवन शंकराचार्य, विवेकानंद जैसा जीना चाहिए यह हमारे आदर्श होना चाहिए कर्म का वर्णन करते हुवे बहुत ही सुन्दर उदाहरण देते हुवे बताया की एक डॉक्टर के हाथ में भी चाक़ू होता है और एक डाकू के हाथ में भी चाकू होता है, सत्कर्म कर जीवन बचा रहा है और दूसरा दुष्कर्म कर लोगो को मार रहा है, कर्म का यही अंतर आपको सत्संग में और भागवत कथा श्रवण करने से मिलती है l चार चार घंटे प्रतिदिन माला पकड़कर मनके गिनने से भक्ति नहीं है, एक पल के लिए सच्चे मन से अपने चित्त में याद करना सच्ची भक्ति है l

जीवन में इंसान का सबसे बड़ा सत्य मृत्यु है, और सबसे बड़ा आश्चर्य है की मृत्यु निश्चित है परन्तु विससिता के इस युग में इंसान इतना घौर डूबा है की वह उस परम सत्य को भुला देता है l सनातनी परंपरा दीप जलाने की है केंडल बुझाने की नहीं, संकल्प ले अपने जन्मदिन पर केक नहीं काटेंगे केंडल नहीं बुझाएंगे अपितु दान करे, बड़े बुजुर्गो को नमन करे पूण्य कमाए l कथा का वृतांत सुनाते हुए कहा की श्रीकृष्ण दुखी है की इस कलयुग के व्यक्ति का कल्याण कैसे हो, राधारानी ने पूछा क्या आपने इनके लिए कुछ सोचा है। प्रभु बोले एक उपाय है हमारे वहां से कोई जाए और हमारी कथाओं का गायन कराए और जब ये सुनेंगे तो इनका कल्याण निश्चित हो जाएगा। गोविंद के गीत गाए बिना शांति नहीं मिलेगी। धर्म, संत, मां-बाप और गुरु की सेवा करो। जितना भजन करोगे उतनी ही शांति मिलेगी। संतों का सानिध्य हृदय में भगवान को बसा देता है। क्योंकि कथाएं सुनने से चित्त पिघल जाता है और पिघला चित ही भगवान को बसा सकता है। यानि की माया का बंधन उनको नहीं चाहिए था। पर आज का मानव तो केवल माया का बंधन ही चारों ओर बांधता फिरता है बार-बार इस माया के चक्कर में इस धरती पर अलग-अलग योनियों में जन्म लेता है। तो जब आपके पास भागवत कथा जैसा सरल माध्यम दिया है जो आपको इस जनम मरण के चक्कर से मुक्त कर देगा और नारायण के धाम में सदा के लिए आपको स्थान मिलेगा l मौनी अमावस्या के महत्व को बताते हुए कहा कि "इस दिन स्नान और दान का अत्यधिक महत्व है। इस दिन पर पितरों के निम्मित भी दान इत्यादि किया जाता है।

दान का शास्त्रों में विशेष महत्व बताया है इसलिए सभी को गरीबों की सहायता एवं दान इत्यादि अवश्य करना चाहिए। धन तो हर कोई कमाता है लेकिन उसके सदुपयोग से दुआएं और आशीष बहुत कम लोग कमाते हैं। सभी मे ईश्वर का दर्शन करें और सबके प्रति दया और प्रेमभाव रखें इससे ईश्वर शीघ्र ही प्रसन्न होते हैं । आगे कथा में जड़भरत संवाद, नृसिंह अवतार, वामन अवतार का वृतांत सुनाते हुए कहा कि भक्ति कभी खाली नही जाती वो अनंत जन्मों तक हमारे साथ रहती हैं भक्तो को भगवान अत्यधिक प्रेम करते हैं जो उन्हें निरन्तर भजता रहता है किसी भी सुख दुख की घड़ी में उनको नहीं भूलता है और उनके प्रति अपना समर्पण भाव रखता है ऐसे भक्तो को भगवान भी याद करते हैं और उनकी सभी चिंताओं, बाधाओं को दूर कर देते हैं l कथा के तृतीय दिवस भरत चरित्र का मार्मिक प्रसंग, अजामिल का चरित्र वर्णन, नरसिंह अवतार का प्रसंग का नाट्यरूपांतरण कर बताया I

शनिवार को कथा श्रवण करने राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के प्रदेश अध्यश जीवन सिंह शेरपुर पधारे व्यास पीठ जी की आरती का लाभ श्रीराम मंदिर महिला मंडल, राहुल कटारे, लखेरा समाज उन्हेल, राष्ट्रीय गोरक्षा समिति के सदस्यने लिया प्रसादी का लाभ स्व. रामचंद्र जी सांकला एवं खारोल परिवार ने लिया l रविवार को श्रीमद्भागवत् कथा में कथावाचक देविश्री द्वारा गजेन्द्र मोक्ष, श्री वामन देव अवतार, एवं प्रभु श्री कृष्ण जन्मोत्सव के प्रसंग का नाट्यरूपांतरण कर श्रवण कराया जायेगा l

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