दो दिवसीय प्रादेशिक बैठक पर्यावरण संरक्षण भारत में प्रति व्यक्ति वृक्षों की संख्या बढ़ाने हेतु समाज की सहभागिता आवश्यक

दो दिवसीय प्रादेशिक बैठक पर्यावरण संरक्षण भारत में प्रति व्यक्ति वृक्षों की संख्या बढ़ाने हेतु समाज की सहभागिता आवश्यक
  • दो दिवसीय प्रादेशिक बैठक में मध्यप्रदेश के 16 ज़िलों व 18 इकाइयों से 50 कार्यकर्ता 
  • विभिन्न सत्रों में पर्यावरण संरक्षण व संवर्धन व संगठनात्मक विषयों पर चिंतन होगा। 
  • भारत में प्रति व्यक्ति वृक्षों की संख्या बढ़ाने हेतु समाज की सहभागिता आवश्यक ।

उज्जैन | विश्व के 151 देशों में भारत औसत वृक्षों की संख्या में 125 वें स्थान पर है जबकि भारत जलवायु की अनुकूलता व समाज की सहभागिता से वैश्विक स्तर पर सर्वोत्तम स्थान अंकित करने की क्षमता रखता है। विगत कोविड महामारी के कालखंड में हमने पर्यावरण के प्रति समाज की जागरूकता का अनुभव किया। साथ ही पर्यावरण के संवर्धन हेतु समाज के विभिन्न प्रयास भी देखे।

सृष्टि सेवा संकल्प मध्यप्रदेश की दो दिवसीय प्रादेशिक बैठक में विभिन्न सत्र में "पर्यावरण संरक्षण" पर गहन चिंतन 'हुआ। देश में निरंतर घटती प्रति व्यक्ति औसत वृक्षों की संख्या एक गम्भीर चिंता का विषय है। एक शतक पूर्व प्रति व्यक्ति औसत वृक्षों की संख्या 2200 के लगभग थी (एक अनुमानित)। जी वर्तमान में घटकर 28 रह गयी है। आज भारत विकासशील देशों में शामिल होने के कारण आज प्रत्येक व्यक्ति अपनी आवश्यकताओं को बढ़ा रहा है। उसी अनुपात में पर्यावरण व प्रकृति के प्रति अपनी जिम्मदारियों को पूरा करने में लगभग विफल नज़र आ रहा है। इस उदासीनता व लापरवाही के कारण वर्तमान समय में स्वाँस सम्बन्धी बीमारियाँ, भूमिगत जलस्तर का घटना, ग्लेशियर का पिघलना, जलवायु परिवर्तन व दिन प्रतिदिन बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण वातावरण में अत्यधिक तापमान आदि का ख़तरा भी मंडराने लगा है ।

यह उल्लेखनीय है कि हिंदू धर्म में प्रकृति वंदन के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण के लिए भी प्रोत्साहित किया गया है। वेदों व पुराणों में एक वृक्ष लगाने से 10 गुणवान पुत्रों का यश प्राप्त होता है। अथर्ववेद में तो वृक्षों व वनों को संसार के समस्त सुखों का स्त्रोत कहा गया है। और वनों को पृथ्वी पर स्वर्ग की संज्ञा दी है।