उज्जैन की केन्द्रीय भैरवगढ जेल मे 12 करोड़ का जीपीएफ घोटाला

उज्जैन की केन्द्रीय भैरवगढ जेल मे 12 करोड़ का जीपीएफ घोटाला
  • उज्जैन की केन्द्रीय भैरवगढ जेल मे 12 करोड़ का जीपीएफ घोटाला
  • स्टाफ के अकाउंट से लाखो रुपये गायब, बाबू के खिलाफ एफआईआर

उज्जैन। उज्जैन जिले में जनरल प्रॉविडेंट फंड का बड़ा घोटाला सामने आया है। 12 करोड़ रुपये के गबन का यह सनसनीखेज मामला उज्जैन केंद्रीय भैरवगढ़ जेल और उपजेलों से जुड़ा है। इस घोटाले को लेकर उज्जैन कलेक्टर ने ट्रेजरी अधिकारी के माध्यम से जेल बाबू के खिलाफ थाना भेरूगढ़ में धारा 420 में मामला दर्ज करवाया है। इस मामले को लेकर पुलिस ने बताया कि बाबू के खिलाफ एफआईआर हो गई है। फिलहाल वह फरार है। उसकी तलाश की जा रही है। घोटाले से जुड़े इस मामले में बैंक डिटेल खंगाले जा रहे हैं। पुलिस का कहना है कि वह जल्द इस पूरे मामले का खुलासा करेगी। एक जांच दल भी भोपाल से उज्जैन जाएगा। बता दें, जैसे ही पता चला कि सेंट्रल जेल भैरवगढ़ व उपजेलों के कई कर्मचारियों के साथ 12 करोड़ का जीपीएफ घोटाला हुआ है, वैसे ही प्रशासन में हड़कंप मच गया। जांच के बाद मामले की गंभीरता देख जिला कलेक्टर के आदेश पर जिला अतिरिक्त कोषालय अधिकारी सुरेंद्र पिता मुन्नालाल भामर ने जेल के बाबू रिपुदमन पिता दिनेश के विरुद्ध भैरवगढ़ थाने में धारा 420 में मामला दर्ज करवाया। यह एफआईआर जेल में अनियमिता व फर्जी भुगतान के मामले में दर्ज हुई है। 

थाना पुलिस ने बताया कि एसके चतुवेर्दी व उषा कौशल ने भविष्य निधि खाते से रुपये निकालने के लिए कोई आवेदन नहीं किया था। बावजूद इसके चतुवेर्दी के खाते से 12 लाख रुपये तथा उषा के खाते से 10 लाख रुपये निकाल लिए गए। राशि दोनों के बैंक खातों में जमा होने के बजाय अन्य बैंक खातों में जमा होने पर जिला कोषालय ने गड़बड़ी पकड़ी। इसके बाद जांच की गई तो सामने आया कि जेल के लेखा विभाग के कर्मचारी रिपुदमन सिंह द्वारा अपने स्वयं तथा दो अन्य बैंक खातों मे रुपये जमा करवाए गए और निकाल भी लिए गए। जिला कोषालय के अधिकारी सुरेश भावर ने आरोपित रिपुदमन के खिलाफ भैरवगढ़ पुलिस को शिकायत की। इस पर पुलिस ने आरोपित के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज किया है। आरोपित रिपुदमन फरार है। भैरवगढ़ टीआइ प्रवीण पाठक के मुताबिक जिला कोषालय के अनुसार आरोपित ने 100 कर्मचारियों के साथ धोखाधड़ी की है। इसकी राशि 12 करोड़ रुपये बताई जा रही है। शुरूआती जांच में सामने आया है कि कुछ कर्मचारियों का वेतन तथा कुछ कर्मचारियों के भविष्य निधि खातों में जमा रुपये निकाले गए हैं।

इस मामले को लेकर कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने कहा कि 10 से 12 करोड़ रुपये का जीपीएफ घोटाला है। एक सिपाही के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। कर्मचारियों के जीपीएफ को मेनूप्लेट कर अपने खाते में डाल लिया गया है। जब ट्रेजरी से पैमेंट होता है तो अकाउंट नंबर का काम डीडीओ यानी जेल अधीक्षक ही करते हैं। बीते ढाई साल से ये सब चल रहा था। अब संज्ञान में आया तो एफआईआर दर्ज करवाई गई है। जीपीएफ से जुड़ा कार्य सेंसश कार्यालय प्रमुख ही करता है। वहीं आवेदन होता है। बिना आवेदन के अगर जेल कर्मचारियों का पैसा निकल गया है तो यह मामला बड़ा है।