उज्जैन में रहने वाले भगवतीलाल राजपुरोहित को मिलेगा पद्मश्री

उज्जैन में रहने वाले भगवतीलाल राजपुरोहित को मिलेगा पद्मश्री
उज्जैन में रहने वाले भगवतीलाल राजपुरोहित को मिलेगा पद्मश्री मध्यप्रदेश के धार जिले के चंदोडिय़ा में 2 नवंबर 1943 को जन्मे, भगवतीलाल राजपुरोहित का पालन-पोषण पारंपरिक माहौल में हुआ। संस्कृत, हिंदी, प्राचीन इतिहास, लोक साहित्य के साथ-साथ कविता, नाटक, उपन्यास सहित विभिन्न विधाओं में निरंतर रचनात्मक लेखन और शोध से उनकी दिशाएं व्यापक होती गई। केंद्र सरकार द्वारा उनकी साहित्य साधना के लिए उन्हे पद्मश्री देने का निर्णय किया है।
81 वर्षीय डॉ. भगवतीलाल राजपुरोहित अपने शोधपरक लेखन के लिए जाने जाते है। वे 10 वर्षो तक विक्रमादित्य शोध पीठ, उज्जैन के निदेशक और 38 वर्षों तक संदीपनी कॉलेज, उज्जैन में हिंदी, संस्कृत और प्राचीन इतिहास के प्रोफेसर रहे हैं। आपने मालवी संस्कृति और साहित्य पर सौ से अधिक पुस्तकों की रचना की है। वहीं 50 से अधिक नाटक लिखे है, जिनमें कुछ अप्रकाशित भी हैं। किन्तु उनके द्वारा लिखित सभी नाटकों का मंचन हुआ है। आपने एक संस्कृत नाटक समर्थ विक्रमादित्य की रचना भी की है। आपके नाटक कालिदास चरितम् का संस्कृत, हिंदी और मालवी में मंचन हुआ है।